श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
प्रत्येक बुधवार और रविवार के सिवा प्रतिदिन श्री संजय भारद्वाज जी के विचारणीय आलेख एकात्मता के वैदिक अनुबंध : संदर्भ – उत्सव, मेला और तीर्थयात्रा श्रृंखलाबद्ध देने का मानस है। कृपया आत्मसात कीजिये।
संजय दृष्टि – एकात्मता के वैदिक अनुबंध : संदर्भ- उत्सव, मेला और तीर्थयात्रा भाग – 42
तिरुपति बालाजी-
यह सुप्रसिद्ध देवस्थान आंध्र प्रदेश के चित्तूर जनपद में है। तिरुपति बालाजी का मंदिर सप्तगिरि पर्वतमाला पर है। प्रतिदिन लगभग एक लाख श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं। तिरुपति बालाजी भगवान विष्णु का विग्रह है। बालाजी के वक्ष पर लक्ष्मी जी का निवास माना जाता है। इस मान्यता के चलते विग्रह को प्रतिदिन अधोभाग में धोती एवं उर्ध्वभाग में साड़ी से सज्जित करने की परंपरा है।
शिव के अर्द्धनारीश्वर रूप की अवधारणा को यह मंदिर विस्तार देता है। सृष्टि के दोनों पूरक तत्वों का एक विग्रह में एकाकार होना वैदिक एकात्म दर्शन का आँखों दिखता प्रत्यक्ष उद्घोष है।
सबरीमला-
केरल की पतनमथिट्टा पहाड़ियों में सबरीमला मंदिर स्थित है। यहाँ अयप्पन स्वामी के विग्रह की पूजा होती है। अयप्पन, शिव और मोहिनी की संतान माने जाते हैं। मोहिनी, विष्णु का स्त्री रूप है। प्रतिवर्ष लगभग 10 लाख लोग यहाँ दर्शन करने आते हैं। मकरसंक्रांति को यहाँ पर्वतमाला में एक दिव्य ज्योति दिखाई देती है।
मंदिर के मार्ग में मुस्लिम सेनापति वावर की समाधि है। वावर , अयप्पन का परम अनुयायी था। भक्त समाधि के दर्शन कर आगे बढ़ते हैं। जिज्ञासुओं के लिए एकात्म की शाब्दिकता का यह साकार रूप है।
क्रमश: ….
© संजय भारद्वाज
अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
संजयउवाच@डाटामेल.भारत
सनातन धर्म में स्त्री और पुरुष को समान सम्मान प्राप्त है, इसका उदाहरण मंदिरों की मूर्तियाँ ही तो हैं।
तिरुपति बालाजी का जैसे आपने साक्षात्कार कराया है, अर्धनारीनटेश्वर के रूप को साकार किया है। सबरीमला के अनन्य रूप को विस्तारित किया है ।
सेनापति बाबर की जो जानकारी आपने उपलब्ध कराई है आकर्षक व सत्यानुरूप है- त्रिवार नमन.…
तिरुपति बालाजी की मूर्ति शिव जी के अर्धनारीश्वर रूप का विस्तार है इसकी जानकारी प्रथम बार मिली। धन्यवाद।
सबरीमाला के मंदिर में अयप्पा जी की मूर्ति विष्णु मोहिनी के पुत्र हैं तथा वावर सेनापति का अयप्पा स्वामी का परम भक्त होना और लोगों का उनकी समाधि के दर्शन करना, अद्भुत जानकारी, जो एकात्म भाव को प्रदर्शित करता है।
भारत के संपन्न माने जानेवाले श्रद्धा स्थानों का महत्त्व स्पष्ट करता आलेख! 🌼🌸