हिन्दी साहित्य – राजभाषा दिवस विशेष – ☆ जनभाषा हिंदी ☆ – डॉ. सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
राजभाषा दिवस विशेष
डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(राजभाषा दिवस पर डॉ. सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी की विशेष कविता जनभाषा हिंदी *.)
* जनभाषा हिंदी *
हिंदी है जन-जन की भाषा
हिंदी हो जन-जन की भाषा
पूर्ण सफल हो ये अभिलाषा
आज नहीं तो निश्चित कल हो
जीवन में हिंदी प्रतिपल हो.
सरल सुबोध, सुग्राही हिंदी
प्रिय पावन सुखदायी हिंदी
छोटे बड़े निरक्षर – साक्षर
सबके मन को भायी हिंदी
स्नेहिल हिंदी की गंगा की
समूचे भारत में कल कल हो
जीवन में हिंदी प्रतिपल हो.
हंसी – खुशी रोने-गाने में
स्वयं समझने समझाने में
हिंदी भाषा मातृ सदृश है
जन-जन के मन दुलराने में
एक सूत्र में बांधे हिंदी
जैसे मधुमय पुष्प कमल हो
जीवन में हिंदी प्रतिपल हो…
जन गण मन के राष्ट्रगान में
शस्य श्यामला के बखान में
आध्यात्मिक हो या वैज्ञानिक
विद्वतजन, सैनिक, किसान में
सबके उर संचरित हिंदी से
हिंदी से सब का मंगल हो
जीवन में हिंदी प्रतिपल हो….
© डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर, मध्यप्रदेश
मो. 9893266014