हिन्दी साहित्य – राजभाषा दिवस विशेष – ☆ हिंदी की दिहाड़ी ☆ – श्रीमती समीक्षा तैलंग 

राजभाषा दिवस विशेष 

श्रीमती समीक्षा तैलंग 

 

(राजभाषा दिवस  के अवसर पर प्रस्तुत है श्रीमति समीक्षा तैलंग जी   की विशेष रचना हिंदी की दिहाड़ी . )

 

☆ हिन्दी की दिहाड़ी ☆

 

तू उठ,

तू चल।

 

दूसरे को चला,

दूसरे को उठा।

 

अपने कांधों को झुका,

वो बैठेगा।

 

सवारी की दिहाड़ी,

वो खाएगा।

 

तेरी सुंदरता पर,

खुद इठलाएगा।

 

झंडा लेकर,

तानेगा तुझे।

 

फिर भी गाएगा वो,

अपना ही गीत।

 

तुझे गिरवी रख,

वो खरीदेगा,

दुनिया की खुशी।

 

तू फिर भी झुकी रहेगी,

मजबूत हैं तेरे कांधे।

 

बोझा ढो लेगी उसका,

लेकिन तू फिर भी,

इतराएगी,

अपनी हस्ती पर।

 

क्योंकि तुझे पता है,

तू है तो वो है।

 

उसके कारण तू नहीं!

 

©समीक्षा तैलंग, 14 सितंबर 2019