हिन्दी साहित्य – राज भाषा दिवस विशेष ☆ हिंदी पर दोहे और कविता ☆ – डॉ. भावना शुक्ल
राजभाषा दिवस विशेष
डॉ भावना शुक्ल
(राज भाषा दिवस पर प्रस्तुत है डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची ‘) जी की विशेष प्रस्तुति हिंदी पर दोहे और कविता. )
☆ हिंदी पर दोहे और कविता ☆
हिंदी पर दोहे और कविता की प्रस्तुति
अपने मन की अभिव्यक्ति।
☆ दोहे ☆
हिंदी पा़ये प्रतिष्ठा, बढ़े देश का मान।
वरना थोथे शब्द है,मेरा देश महान ।।
शब्द शब्द में है बसी, शब्द शब्द की जान।
तोल मोल कर बोलना, शब्दों का सम्मान।।
हिन्दी प्रेमी जगत में, हिन्दी है पहचान ।
अंतस में भाषा बसे, ज्योकि ह्रदय में प्राण।।
हिंदी परचम देश का हिंदी है पहचान ।
लिखो पढ़ो तुम राम जी या पढ़ लो रहमान।।
☆ हिंदी ☆
हिंदी हमारी
आन-बान और शान है
दिलों में हमारे
बसती जान है।
हिंदी के
सुवर्ण से रचा शब्द
शब्दों से बना वाक्य
और वाक्य ने रच दी
आत्मकथा ,काव्य ,कहानी
साहित्यकारों की जुबानी
जिसमें रस,छंद है अलंकार
जिससे होता है
काव्य का श्रृंगार है।
हिंदी भाषा तो
रस की खान है
भाव से भरा
रहीम रसखान है ।
धन्य है भाषा धन्य है साहित्य
जो महान मनीषियों की जान है
हिंदी के स्वर और व्यंजन
है साहित्य का अंजन
है इनमे सुंदरता का प्रतिमान
नहीं है इसको अभिमान।
हिंदी में होती है बिंदी
मातृ भाषा ,राजभाषा है हिंदी
हर वर्ण में सुरों की
झंकार है।
मीठी है हिंदी
मधुर है वाणी
हिंदी की हम करते पुकार है।