डॉ कुंवर प्रेमिल
( संस्कारधानी जबलपुर के वरिष्ठतम साहित्यकार डॉ कुंवर प्रेमिल जी को विगत 50 वर्षों से लघुकथा, कहानी, व्यंग्य में लगातार लेखन का अनुभव हैं। अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित। 2009 से प्रतिनिधि लघुकथाएं (वार्षिक) का सम्पादन एवं ककुभ पत्रिका का प्रकाशन और सम्पादन। वरिष्ठतम साहित्यकारों ने उम्र के इस पड़ाव पर आने तक जीवन की कई सामाजिक समस्याओं से स्वयं की पीढ़ी एवं आने वाली पीढ़ियों को बचाकर वर्तमान तक का लम्बा सफर तय किया है,जो कदाचित उनकी रचनाओं में झलकता है। हम लोग इस पीढ़ी का आशीर्वाद पाकर कृतज्ञ हैं। आज प्रस्तुत है एक विचारणीय लघुकथा खबरें। )
☆ लघुकथा – खबरें ☆
बिस्कुट लेने गई एक लड़की का अपहरण, एक अबोध बच्ची के साथ हुआ बलात्कार, किसी महिला के साथ हुआ सामूहिक अत्याचार…… रोज-रोज अखबारों में ऐसी अनेकों खबरें पढ़ने को मिल रही है. पूरा माहौल बद से बदतर हो गया है.
लोग कह रहे हैं- यह क्या हो रहा है? सरकार क्या कर रही है? आखिर, बीच-बीच में कहीं-कहीं से क्या यह स्वर नहीं उभरना चाहिए- हम क्या कर रहे हैं?
हमारी कोई नैतिक जिम्मेदारी नहीं है क्या? और हम सबसे पहले इन खबरों को चटकारे लेकर नहीं पढ़ रहे हैं क्या?
यह प्रश्न चिन्ह अब तक हमारे सामने आकर क्यों नहीं खड़ा होता? आखिर – आखिर?
© डॉ कुँवर प्रेमिल
एम आई जी -8, विजय नगर, जबलपुर – 482 002 मोबाइल 9301822782
अच्छी रचना ़