डॉ . प्रदीप शशांक 

(डॉ प्रदीप शशांक जी द्वारा रचित एक समसामयिक विषय पर आधारित सार्थक एवं शिक्षाप्रद लघुकथा   “ शेखी ”.  )

☆ लघुकथा – शेखी 

रिंकू ने मोटरसाइकिल निकाली और बाहर जाने लगा , तभी उसकी माँ ने उसे टोका – “पूरे शहर में लॉक डाउन है और तुम कहां जा रहे हो? घर पर नहीं रह सकते क्या? घूमना जरूरी है क्या?”

उसने शेखी बघारते हुए मां से कहा – “मां, तुम नाहक ही परेशान हो रही हो, हमें कुछ नहीं होगा। हम सब दोस्त रोज ही तो घूम रहे हैं,  पुलिस को चकमा देकर।”

“पर बेटा—” मां कुछ और कहती उसके पहले ही रिंकू ने मोटरसाइकिल स्टार्ट की और तेजी से चला गया। कुछ देर बाद वह कराहता हुआ वापस आया, घबराकर मां ने पूछा तो उसने बताया कि पुलिस वालों ने पीठ पर डंडा मार दिया है।“

“मैंने तो तुम्हें पहले ही मना किया था लेकिन तुम किसी की बात मानते ही कहाँ हो।”

तीन दिन बाद — रिंकू को सर्दी खांसी के साथ ही तेज बुखार भी हो गया। मां ने दो -तीन दिन घरेलू इलाज किया लेकिन तबियत बिगड़ने के कारण उसे अस्पताल में भर्ती कराया। जांच में रिंकू को कोरोना पॉजिटिव पाया गया । अब वह जिँदगी और मौत के बीच जूझ रहा है।

अपनी शेखी बघारने की आदत की वजह से अपने साथ ही अपने परिवार एवं अन्य लोगों को भी मुसीबत में डाल दिया।

 

© डॉ . प्रदीप शशांक 

37/9 श्रीकृष्णपुरम इको सिटी, श्री राम इंजीनियरिंग कॉलेज के पास, कटंगी रोड, माढ़ोताल, जबलपुर ,मध्य प्रदेश – 482002
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments