डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव
(आज प्रस्तुत है डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव जी की एक सार्थक लघुकथा समाज सेवा। )
☆ लघुकथा – समाज सेवा ☆
मेरी परिचित का फोन आया कि क्यों यह जब तक लॉकडाउन है तब तक हम बाइयों को काम करने के लिए नहीं बुला रहे हैं तो तुम तनख्वाह दोगी क्या?
…” मैंने कहा हां नहीं तो उनका गुजारा कैसे चलेगा।”
तो वह बोली ..”नहीं मैं तो नहीं दूंगी पैसे क्या पेड़ पर लगते है ।”
फोन रख कर मैंने सोचा हां ये क्यों देंगी कल ही तो इन्होंने फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्स एप पर एक ग़रीब परिवार के चार लोगों के बीच खाने का 1 पैकेट देते हुए फोटो अपलोड की है इनकी समाज सेवा तो पूरी हो गई ।”
© डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव
मो 9479774486
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
संदेशात्मक लघुकथा
उम्दा प्रस्तुति
, समाज सेवी फोटो खिंचवा कर प्नचार नहीं चाहते
बल्कि अपने कर्मों की मौन साधना पथ पर अग्रसर रहते हैं।
अच्छा संदेश दे रही है यह लघुकथा रचना कार को बधाइ अभिनंदन अभिवादन मंगलसुप्रभात।
मानवीय दर्शन जी श्रेष्ठ प्रस्तुति।मार्मिक भाव ।बधाई।
मानवीय दर्शन की