श्री कपिल साहेबराव इंदवे 

 

(युवा एवं उत्कृष्ठ  मराठी कथाकार, कवि, लेखक श्री कपिल साहेबराव इंदवे जी का एक अपना अलग स्थान है. आपका एक काव्य संग्रह प्रकाशनधीन है. एक युवा लेखक  के रुप  में आप विविध सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेने के अतिरिक्त समय समय पर सामाजिक समस्याओं पर भी अपने स्वतंत्र मत रखने से पीछे नहीं हटते. हम भविष्य में श्री कपिल जी की और उत्कृष्ट रचनाओं को आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे.

आज प्रस्तुत है   ई-अभिव्यक्ति  पहली हिंदी लघुकथा “रोटियां सेंकने जाना था.” )

 

☆ लघुकथा –  रोटियां सेंकने जाना था ☆

 

दिन भर कि थकान से हरीश घर वापिस लौटा । आते ही वह बेड पर लेट गया। थकान से चूर होने कि वजह से उसकी कब आँख लग गई पता ही नही चला। उसके बेटे ने उसे जगाया कहा- “पापा उठिए मम्मी खाने पर बुला रही है।” तब जा कर वह जागा लेकिन बेटे के इन शब्दो ने उसे उसके अतीत में ले जा कर छोड़ दिया। जब वह छोटा था तब माँ भी उसे ऐसे  ही खाना खाने और भी अन्य काम करवाने  के लिए जगा दिया करती थी।

उस दिन भी हरीश ऐसे ही सोया था। उसकी माँ ने उसे जगाया और कहा- “हरीश, बेटे बनिया की दुकान से कूछ सामान ला दे। तब तक मैं रोटियाँ सेंक लेती हूँ। तूझे भी भूख लगी होगी। जा जल्दी”। माँ की बात सुन छोटा हरीश बोला ” माँ मुझे भी सिखा दो ना रोटियां सेंकना। जब आप दीदी के घर जाओगी तो मै खुद भी बना कर खा सकता हूँ। जब आप जाते तब खाना देते समय बगल वाली आंटी का मुँह फूला हुआ रहता है”।   छोटे हरीश की बात सुन माँ हल्के से मुस्कुरायी और उसे हाँ कहकर बनिया की दुकान पर भेजा। बिल्डिंग के नीचे उतरकर हरीश रास्ता पार कर दुकान पर पहुंचा। जेब से पैसे निकाल कर बनिये के हाथ मे देने ही वाला था कि पीछे से  जोर से कुछ फटने की आवाज आयी। उसने पीछे मुड़ कर देखा तो उसी के बिल्डिंग की ओर कूछ लोग भागते हुए जा रहे थे और कह रहे थे कि सिलिंडर फट गया है । हरीश  पैसे जेब मे रख बिल्डिंग की ओर भागा। जा कर उसने देखा कि उसकी माँ कब से गतप्राण हो चुकी थी। सिलिंडर फटने की वजह से जल भी चुकी थी। वह अपनी माँ को उस अवस्था मे देखता ही रह गया।

उसकी माँ के साथ रोटियाँ सेंकने की ख्वाहिश आज भी अधूरी रह गई। माँ की वे बातें उसके जहन मे आज भी जिंदा थी। उन बातों को याद कर उसने आँखे पोंछी और खाना खाने निकल गया।

 

© कपिल साहेबराव इंदवे

मा. मोहीदा त श ता. शहादा, जि. नंदुरबार

मो  9168471113

 

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