हिन्दी साहित्य – व्यंग्य – मन तेरा प्यासा – श्री जय प्रकाश पाण्डेय

श्री जय प्रकाश पाण्डेय

मन तेरा प्यासा

रिमझिम रिमझिम बरसात हो रही है,फिर भी प्यास लगी है। गर्मागर्म पकोड़े बन रहे हैं , और बेरोजगारों की प्यास बढ़ती जा रही है।  श्रीमती जी मोबाइल से  ये गाना बार बार सुना रही है………

“रिमझिम बरसे बादरवा,

मस्त हवाएं आयीं,

पिया घर आजा.. आजा.. ”

बार बार फोन आने से गंगू नाराज होकर बोला – देखो  श्रीमती जी अभी डिस्टर्ब नहीं करो बड़ी मुश्किल से गोटी बैठ पायी है। अभी गेटवे आफ इण्डिया में समंदर के किनारे की मस्त हवाओं का मजा लूट रहे हैं, तुम बार बार मोबाइल पर ये गाना सुनवा कर डिस्टर्ब कर रही हो ,…….. यहां तो और अच्छी सुहावनी रिमझिम बरसात चल रही है और मस्त हवाएं आ रहीं हैं और जा रहीं हैं। फेसबुक फ्रेंड मनमोहनी के साथ रिमझिम फुहारों का मजा आ रहा है। भागवान चुपचाप सो जाओ.. इसी में हमारी और तुम्हारी भलाई है, नहीं तो लिव इन रिलेशनशिप के लिए ताजमहल होटल सामने खड़ी है… अब बोलो क्या करना है। होटल में कमरा बुक करा लूं क्या मनमोहनी के लिए……….. उधर से पत्नी की आवाज आयी – फालतू में पैसे खर्च मत करो ये फैसबुकी फ्रेंड् जेब की पूरी सफाई करा लेते हैं। तुम समझ नहीं रहे हो। सुनो भागवान इतना हम सब समझते हैं। और सुनो जी बार बार फोन नहीं लगाना नहीं तो मनमोहनी को शक हो जाएगा। तुम तो जानती हो कि जीवन भर  लोन ले लेकर तुम्हें सब तरह की सुख सुविधाएं हमने दीं हैं, और तुम एक दिन के लिए ऐश भी नहीं करने दे रही हो, ईष्या से जल रही हो, और सुनो मुझे तो ये तुमसे ज्यादा सुंदर लग रही है सेव जैसे लाल गाल और गुलाबी ओंठ बहुत सुहावने लग रहे हैं। एक काम करो तुम अभी नींद की गोली खाकर चुपचाप सो जाओ …….. ।

बरसात हो रही है और ताजमहल होटल के सामने गंगू और फेसबुक फ्रेंड मनमोहनी भीगते हुए नाच रहे हैं पीछे से गाने की आवाज आ रही है…….

“बरसात में हमसे मिले तुम,

सजन तुम से मिले हम,   बरसात में, ”

जब नाचते नाचते दोनों थक गए, तो गंगू बोला – गजब हो गया 70 साल से बरसात के साथ विकास नहीं बरसा और इन चार साल में बरसात के साथ विकास इतना बरसा कि सब जगह नुकसान ही नुकसान दिख रहा है। झूठ को सच की तरह बोलो और जनता को बुद्धू बनाकर राज करो। आम आदमी और मीडिया को सच कहने में  पाबंदी है। जोशी पड़ोसी कुछ भी बोले हम कुछ नहीं बोलेगा, मीडिया में लिखेगा तो जुल्म हो जाएगा।

एक काम करते हैं चलो  पिक्चर में बैठते हैं वहां अंधेरा भी रहता है, खूब मजा आयेगा। सुनो प्यारी मनमोहनी सिनेमा हाल के अंधेरे में चैन खींचने वाले और जेबकट बहुत सक्रिय हो गए हैं, तो मेरी ये चैन और मेरा पर्स अपने थैले में सुरक्षित रख लो, पर्स में 20-30 हजार रुपये पड़े हैं सम्भाल कर रखना। गंगू सीधा और दयालु किस्म का है,सब पर जल्दी विश्वास कर लेता है। बड़े पर्दे पर फिल्म चालू हो गई है गाना चल रहा है………

‘मुझे प्यास, मुझे प्यास लगी है

मेरी प्यास मेरी प्यास को बुझा देना…… आ….के.. बुझा…. ‘

पूरा गाना देखने के बाद गंगू बड़बड़ाते हुए बोला – बड़ी मुश्किल है मुंबई में, समुद्र में हाईटाइड का माहौल है, जमके बरसात मची है सब तरफ पानी ही पानी है और इसकी प्यास कोई बुझा नहीं पा रहा है सिर्फ़ चुल्लू भर पानी से प्यास बुझ जाएगी, बड़ा निर्मम शहर है, हमको तो दया आ रही है और मनमोहनी तुमको…….?

जबाब नहीं मिलने पर गंगू ने अंधेरे में टटोला, बाजू की कुर्सी से मनमोहनी गायब थी चैन भी ले गई और पर्स भी……….

गंगू को काटो तो खून नहीं, रो पड़ा, क्या जमाना आ गया प्यार के नाम पर ऐसी लुटाई….. वाह री बरसात तू गजब करती है जब प्यास लगती है तो फेसबुक फ्रेंड पर्स लेकर भाग जाती है………. ।

पिक्चर भी गई हाथ से। पर्स के साथ चैन और पूरे पैसे लुट

जाने से गंगू दुखी है सिनेमा हाल के बाहर चाय पीते हुए गंगू भावुकता में आके फिर गाने लगा……….

“मेरे नैना सावन भादों,

फिर भी मेरा मन प्यासा, ”

चाय वाला बोला गजब हो गया साब, चाय भी पी रहे हो और मन को प्यासा बता रहे हो, आपकी आंखों में सावन भादों के बादल छाये हैं और बरसात भी हो रही है तो मन प्यासा कैसे हो सकता है। … मन तो भीगा भीगा लग रहा है और नेताओं जैसे गधे की राग में चिल्ला रहे हो ‘मेरा मन प्यासा’……..

चाय वाले आप नहीं समझोगे…. बहुत धोखाधड़ी है इस दुनिया में….. खुद के नैयनों में बरसात मची है पर हर कोई दूसरे के नैयनों का पानी पीकर मन की प्यास बुझाना चाह रहा है। घरवाली के नयनों का पानी नहीं पी रहे हैं, बाहर वाली के नयनों के पानी से प्यास बुझाना चाहते हैं।

अरे ये फेसबुक और वाटस्अप की चैटिंग बहुत खतरनाक है यार, फेसबुक फ्रेंड से चैटिंग इस बार बहुत मंहगी पड़ गई…. रोते हुए गंगू फिर गाने लगा…………

“जिंदगी भर नहीं भूलेगी,

ये बरसात की रात,

एक अनजान हसीना से,

मुलाकात की रात, ”

चाय वाला बोला-

– चुप जा भाई चुप जा ‘ये है बाम्बे मेरी जान…..’

दुखी गंगू रात को ही घर की तरफ चल पड़ा, रास्ते में फिल्म की शूटिंग चल रही थी, शूटिंग देखते देखते भावुकता में गाने के साथ गंगू भी नाचने लगा……..

” मेघा रे मेघा रे…….. “गाने में हीरोइन लगातार झीने – झीने कपड़ों में भीगती नाच रही है और देखने वालों का दिल लेकर अचानक अदृश्य हो जाती है म्यूजिक चलता रहता है और गंगू के साथ और लोग भी भीगते हुए नाचने लगते हैं हैं, सुबह का चार बज गया है शूटिंग बंद हो गई है, गंगू और कई लोग नाचते नाचते और ठंड से कंपकपाते हुए गिरकर ढेर हो गए। किसी ने 108 ऐम्बुलेंस बुलवा दी, सब अस्पताल में भर्ती हो गये । नर्स गर्म हवा फेंक रही है पर गंगू अभी भी बेहोश पड़ा है। सुबह आठ बजे पता चला कि सीवियर निमोनिया और फेफड़ों में तेज इन्फेक्शन से गंगू की सांसे रुक गईं हैं। डाक्टर ने गंगू को मृत घोषित कर दिया है ……….

दो घंटे बाद गंगू की शव यात्रा पान की दुकान के सामने रुकती है, पान की दुकान में गाना बज रहा है….

“टिप टिप बरसा पानी,

पानी ने आग लगाई, ”

गाना सुनकर मुर्दे में हरकत हुई……. सब भूत – भूत चिल्लाते हुए बरसते पानी में भाग गए ……… ।

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© जय प्रकाश पाण्डेय