श्री शांतिलाल जैन

(आदरणीय अग्रज एवं वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री शांतिलाल जैन जी विगत दो  दशक से भी अधिक समय से व्यंग्य विधा के सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपकी पुस्तक  ‘न जाना इस देश’ को साहित्य अकादमी के राजेंद्र अनुरागी पुरस्कार से नवाजा गया है। इसके अतिरिक्त आप कई ख्यातिनाम पुरस्कारों से अलंकृत किए गए हैं। इनमें हरिकृष्ण तेलंग स्मृति सम्मान एवं डॉ ज्ञान चतुर्वेदी पुरस्कार प्रमुख हैं। श्री शांतिलाल जैन जी  के  स्थायी स्तम्भ – शेष कुशल  में आज प्रस्तुत है उनका एक विचारणीय व्यंग्य  इंग्लिश बनाम इंग्लिश।) 

☆ शेष कुशल # 36 ☆

☆ व्यंग्य – “इंग्लिश बनाम इंग्लिश” – शांतिलाल जैन 

मेरा एक मशविरा है श्रीमान कि अब से किसी बाथरूम को बाथरूम कहने की गलती मत करिएगा, गंवार समझे जाने लगेंगे. बाथरूम अब वॉशरूम हो गया है. मौका सलूजा साब के फ्लैट में गृहप्रवेश का था. मास्टर बेडरूम से जुड़े गुसलखाने को मैंने शानदार बाथरूम कह दिया. उनके चेहरे पर ऐसा भाव आया मानों कि वे एक गंवार आदमी से मुख़ातिब हों. अपार्टमेंट को फ़्लैट कहा जाना भी उन्हें नागवार गुजरा. उन्होंने कहा था एलेवंथ फ्लोर पर इलेवेटर से आ जाईएगा. हम बहुत देर तक इलेवेटर ढूंढते रहे, फिर पता लगा कि सामने लगी लिफ्ट को ही इलेवेटर कहते हैं. ये इंग्लिश बनाम इंग्लिश का समय है श्रीमान. आपको अंग्रेजी आती हो इतना काफी नहीं है, आपको नए जमाने की अंग्रेजी आनी चाहिए. जब मिसेज सलूजा ने ब्लेंडर का जिक्र किया तो मुझे पत्नी को अंग्रेजी से अंग्रेजी में अनुवाद करके बताना पड़ा कि ये मिक्सी की बात कर रहीं हैं. सलूजा साब के किड्स प्राइमरी स्कूल के स्टूडेंट नहीं हैं, जूनियर स्कूल के हैं. जिन्दगी भर पेन्सिल से लिखा आप जिस रबर से मिटाते रहे वो उनके लिए इरेजर है. वे खाते बिस्किट हैं, कहते कुकीज हैं. समझे ब्रदर, आई मीन ब्रो. तो जब आप मिलें सलूजा साब से इंट्रोडक्शन मत दे दीजिएगा – इंट्रो इज इनफ.

नए जमाने की अंग्रेजी का आलम ये कि इन दिनों बायो-डाटा तो लोग चपरासी की पोस्ट के लिए नहीं देते, रिज्यूम देना पड़ता है. फुटपाथ अब पैदल चलनेवालों के लिए नहीं होते, पेवमेंट पर से वाक् करके जाना पड़ता है. इंग्लिश अब इंग्लिश से मात खाने लगी है तभी तो गिनती लाख-करोड़-अरब में नहीं होती, मिलियन-बिलियन-ट्रिलियन में होती है. आतंकवादी अब ‘किल’ नहीं किए जाते, न्यूट्रलाईज किए जाते हैं.

ये जेन-झेड का समय है. गंवार हंड्रेड परसेंट सही होते हैं और जेन-झेड सेंट-परसेंट. अपन हंड्रेड परसेंट सही हैं श्रीमान.

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© शांतिलाल जैन 

बी-8/12, महानंदा नगर, उज्जैन (म.प्र.) – 456010

9425019837 (M)

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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