श्री शांतिलाल जैन
(आदरणीय अग्रज एवं वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री शांतिलाल जैन जी विगत दो दशक से भी अधिक समय से व्यंग्य विधा के सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपकी पुस्तक ‘न जाना इस देश’ को साहित्य अकादमी के राजेंद्र अनुरागी पुरस्कार से नवाजा गया है। इसके अतिरिक्त आप कई ख्यातिनाम पुरस्कारों से अलंकृत किए गए हैं। इनमें हरिकृष्ण तेलंग स्मृति सम्मान एवं डॉ ज्ञान चतुर्वेदी पुरस्कार प्रमुख हैं। श्री शांतिलाल जैन जी के स्थायी स्तम्भ – शेष कुशल में आज प्रस्तुत है उनका एक विचारणीय व्यंग्य “नेपो किड्स के दौर में…”।)
☆ शेष कुशल # 37 ☆
☆ व्यंग्य – “नेपो किड्स के दौर में…” – शांतिलाल जैन ☆
‘आप राहा को जानते हैं शांतिबाबू ?’ दादू के पूछने पर मैंने ‘नहीं’ में उत्तर दिया. दादू सिरे से उखड़ गया. बोला – कमाल करते हैं आप!!. या तो आप पढ़े-लिखे नहीं हैं और हैं भी तो आपका जीके वेरी पुअर है. आलिया और रणबीर की डॉटर को नहीं जानते! पता नहीं किस दुनिया में रहते हैं आप, अलिया के पेट में थी मिडिया तब से कवर कर रहा है. सच में कमाल है!!’
‘नहीं नहीं दादू, ध्यान आ गया. आप राहा कपूर की बात कर रहे हो. नॅशनल न्यूज पेपर में छपी थी उसकी फोटो, आधे पेज पर. पास में नीचे दस प्रतिशत खाद्य महंगाई की छोटी सी खबर पढ़ने के बाद इस खबर पर मेरा ध्यान वैसा नहीं गया.’
‘शांतिबाबू हर समय महँगाई को मत रोया कीजिए’ – दादू ने कहा – ‘क्या पोज़ मारा एक साल की क्यूट बेबी ने! खबरों में हॉट. कहाँ स्पॉट हुई ? हुडी पहनी थी कि डंग्रीज़ ? रणबीर ने शोल्डर पर बैठा रखा था कि बगल में ? सेलेब्रिटी मदर कहाँ स्पॉट हुई ? रात में डायपर आलिया बदलती है कि रणबीर ? एक बार बदला था रणबीर ने मगर साबुन से हाथ नहीं धोए तब से आलिया ही करती है यह सब. आलिया ने इंटरव्यू में बताया. पूरे तीस जोड़ स्नीकर्स खरीदे हैं रणबीर ने उसके लिए, बताईए मिडिया आपको इतनी महत्वपूर्ण जानकारी दे रहा है और आप हैं कि बार बार इन्फ्लेशन का स्यापा लेकर बैठ जाते हो.’
‘दादू, इस समय देश की एक और बड़ी समस्या बेरोज़गारी है’ – मैंने कहा.
वे बोले – ‘माय डियर फ्रेंड, अनएम्पलॉयमेंट बड़ी समस्या होती तो देश में राहा की गोल गोल बड़ी बड़ी आँखें ट्रेंड नहीं कर रही होती. जेन-झेड से लेकर मार्निंग वॉकर अंकिलों तक में डिस्कशन चल रहा है. कैसी दिखती है राहा ? न तो रणबीर जैसी दिखती हैं और न आलिया जैसी. उसमें कपूर खानदान के जीन्स हैं मगर राज कपूर जैसी दिखती नहीं है. अलबत्ता करीना कपूर खान जैसी दिखती है.’
‘दादू, बिलकिस बानो की उस तीन साल की लड़की की बात करें, जिसे उसकी माँ के सामने ही पटक पटक के मार डाला था ?’ – मैंने पूछा.
‘भोत सिड़ी आदमी हो यार आप, छांट के मूड खराब करनेवाली खबर लाते हो. हॉलीडेज के बाद एयरपोर्ट पे पिंक हुडीज में स्पॉट हुई है क्यूटी और तुम बिलकिस रोना लेकर बैठ गए हो. बात राहा की चल रही है. सो क्यूट बेबी!! उसकी खूबसूरत नीली आँखें अगर मिलती हैं तो बस करिश्मा कपूर से. नाक, कान, होंठ और गोल-मटोल गाल आलिया की बचपन की तस्वीरों से मिलते-जुलते हैं. फैन्स खुश हैं, पूरे एक साल बाद जो स्पॉट हुई है.’
जब मैंने दादू से मणिपुर का जिक्र करना चाहा तो वो मुझे पेज-थ्री पर लगी तैमूर, वियान और वमिका की तस्वीरें दिखाने लगा जो अब नेपो किड्स बनने की राह पर अग्रसर हैं. कन्फ्यूज हो जाते हैं आप ज्यादा पॉपुलर विराट है कि वमिका. डैड से अधिक वायरल डॉटर की फोटूएँ. वो क्रिकेटर बनेगी या हिरोईन इस पर जितनी प्लानिंग अनुष्का ने नहीं की होगी उससे ज्यादा चैट तो इंस्टाग्राम पर हो ली है.
बहरहाल, दादू मेरे हर जिक्र से खिन्न था, बोला – ‘वे लोग एक नंबर के झक्की होते हैं जो इस दौर में ज्वलंत मुद्दों पर बात करने के नाम पर निगेटिविटी फ़ैलाने की कोशिश करते हैं. मिडियावाले बेचारे जमीन और जनता से जुड़ी कितनी खबरें छोटी से छोटी करके भी स्टार किड्स के बड़े से बड़े फोटू, उनके पेरेंट्स के इंटरव्यू छापते हैं. आप जैसे लोग हैं कि ठीक से पढ़ते भी नहीं. ये सेलेब्रिटी किड्स से नेपो किड्स की ओर चलने का का दौर है शांतिबाबू, जिंदगी को एन्जॉय करना सीखिए.’
जब गाँव में पानी की समस्या से लेकर यमन में हो रहे प्रदर्शनों तक हर आक्रोश को शांत करने का नायाब नुस्खा सेलेब किड्स के कवरेज़ में छुपा हो तब अपन की तो हिम्मत ही नहीं होती है कि हसदेव के जंगलों में दो लाख पेड़ काटे जाने का जिक्र भी किया जाए. बहरहाल, आप स्टार किड्स को देखते रहिए, रील्स बनाईये, इन्स्टाग्राम पर अपलोड करते रहिए और जिंदगी की दुश्वारियों को भूल जाईए, हमारे दादू की तरह.
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© शांतिलाल जैन
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