हिन्दी साहित्य – व्यंग्य – * आओ कंधे से कंधा मिलाएं * – श्रीमति अर्चना चतुर्वेदी
श्रीमति अर्चना चतुर्वेदी
आओ कंधे से कंधा मिलाएं
(श्रीमति अर्चना चतुर्वेदी जी का e-abhivyakti में स्वागत है। “आओ कंधे से कंधा मिलाएं” महिला-पुरुष समानता की विचारधारा पर एक चुटीला व्यंग्य है। हम भविष्य में श्रीमति अर्चना चतुर्वेदी जी की अन्य विधाओं की रचनाओं की भी अपेक्षा करते हैं।)
मानो जैसे कल की बात हो पूरी दुनिया पर सिर्फ मर्दों का ही साम्राज्य था, तब औरतें घर की चारदीवारी में रहती थीं। चूँकि मर्द कमाकर लाते थे और और उनके हिसाब से दिमाग भी उन्ही के पास था सो वो खुद को बड़ा तुर्रमखाँ समझते थे। फिर अचानक महिला और पुरुष की बराबरी की लहर उठी जिससे मर्द के एकछत्र राज्य वाली दीवार में दरार आने लगी। अपने कार्यक्षेत्र में यूं अचानक हुई घुंसपैंठ पुरुष बौखला गए, परेशान हो गए क्योंकि उनकी मर्दवादी सोच ये हजम नहीं कर पा रही थी कि महिलाएं उनसे कंधे से कंधा मिलाकर चलें उनसे बराबरी करें। वो महिलाओं को परेशान करने के हर हथकंडे अपनाता, कुछ मर्द तो जानबूझ कर बस में उसी सीट पर बैठते जो महिलाओं के लिए आरक्षित होती यदि महिला कहती ये मेरी सीट हैं तो वेशर्मी से कहते कहाँ लिखा है,या जहाँ लिखा है वही बैठ जा टाइप।
अरे भई मैं कोई फालतू कहानी सुना कर बोर नहीं कर रही आप इस किस्से के अंततक जायेंगे तो अपने आप समझ आएगा मैं क्या कहना चाहती हूँ …………….
महिलाओं में पुरुषों से बराबरी और कंधे से कंधा मिलाने का इतना जोश था कि आखिरकार पुरुषों की सोच में परिवर्तन आने लगे और मर्दवादी सोच उदारवादी सोच में बदलने लगी,अब पत्नी गाड़ी या स्कूटर चलाती तो पति आराम से बिना किसी शर्म के उसके साथ या पीछे बैठने लगा अरे भई बराबरी की बात जो है।
बल्कि कईयों ने तो अतिउदारवादी सोच का प्रदर्शन किया और महिलाओं के सामने घुटने टेक महिलाओं को पूरा मौका दिया कि वो चाहें तो कंधे से कंधा मिलाएं या कंधे पर सवार हो जाये सारे रस्ते खुले हैं। महिलाओं ने पुरुषों की हर तरीके से बराबरी की, पुरुषों जैसा पहनावा, बालों की कटिंगयहाँ तक कि उनकी जैसी भाषा तक को नहीं छोड़ा।
अब इसे पुरुषों के दिमाग की खुराफात कहो या कोई बदले की भावना। आज उन्होंने महिलाओं की बराबरी हर क्षेत्र में करनी शुरू कर दी है और कंधे से कंधा मिलाकर चलने की बात को अति गंभीरता से लेना भी शुरू कर दिया है। पहले हॉस्पिटल में सिर्फ सिस्टर होती थी आज ब्रदर भी होते हैं। अच्छे कुक पुरुष ही होते हैं। रिसेप्शन पर आप पुरुषों को देख सकते हैं और भी बहुत सी ऐसी जगह हैं जहाँ आप पहले सिर्फ महिलाओं को देखते थे वहाँ आज पुरुष आसानी से देखे जा सकते हैं। और तो और कुछ पुरुषों ने तो मानो महिलाओं से बदला लेने की ठान ली है। जिस फैशन, स्टाइल और खूबसूरती के बल पर महिलाएं पूरी दुनिया पर राज कर रही थी, उस क्षेत्र में आज पुरुषों ने महिलाओं को भी पछाड़ दिया है। आज के पुरुष अपने लुक्स पर पूरा ध्यान देते हैं, स्मार्ट दिखने के लिए घंटो जिम में लगाते हैं, सुन्दर दिखने के लिए ब्यूटी पार्लर में जाते हैं और वो सब यानि फेशियल,आई ब्रो और वो सारे कार्यक्रम करते हैं जिन्हें करके महिलाएं सुन्दर दिखती हैं। कुछ तो नाक कान में वालियां पहनते हैं, लड़कियों की तरह हेयर स्टाइल रखते हैं, तरह तरह की ज्वेलरी और एक्सेसरीज इस्तेमाल करते हैं। आज के लड़कों का फैशन और स्टाइल किसी का भी दिमाग चकराने के लिए काफी है कि ये लड़का है या लड़की। फ़िल्मों और टीवी में तो मर्द औरतों के पहनावे तक को अपना रहे हैं बल्कि कुछ हीरो तो हिरोइन के चरित्र में ही ज्यादा नाम कमा रहे हैं, गुत्थी, पलक, दादी की तरह। यानि हिरोइन का पत्ता साफ़।
और एक बात आज के युग में आप महिलाओं को कतई दोष नहीं दे सकते कि वो अपनी उम्र छिपाती हैं या आंटी कहने पर नाराज होती हैं। आज के पुरुष जवान और सुन्दर दिखने के लिए वो सारे हथकंडे अपनाते हैं जिनके लिए सिर्फ महिलाएं विख्यात क्या कुख्यात मानी जाती थी। अपने बाल रंगेंगे, खाने पीने का ध्यान रखेंगे, बोटोक्स लगवाएंगे, हेयर ट्रांसप्लांट करवाएंगे, अपनी उम्र छिपायंगे और तो और कुछ को तो आप अंकल कह दो तो चिढ़ जायेंगे आज वो मिस्टर शर्मा टाइप संबोधन सुनना पसंद करते हैं।
वो दिन दूर नहीं जब पुरुष भी महिलाओं वाले नाम रखने लगेंगे। उदाहरण के लिए अब आपको मिस्टर सीता, सावित्री, कामिनी मिलेंगे। वो दिन दूर नहीं जब पुरुषों के बैग से लिपिस्टिक या दूसरी चीजें बरामद होंगी। बस एक ही काम है जो मर्द नहीं कर सकते। क्या करें, प्रकृति ने उन्हें इस मामले में लाचार कर दिया है। वे मां नहीं बन सकते। लेकिन कुछ जिद्दी पुरुष महिलाओं को मात देने के लिए प्रेग्नेंट होने का नाटक तो कर ही सकते हैं। पता चला कि कई पुरुष पेट में कुछ बांधे हुए चले आ रहे हैं। मेट्रो में ऐसे लोग धीमे कदमों से चलते हुए आएंगे और ‘प्रेगनेंसी’ के नाम पर सीट भी क्लेम कर लेंगे।
इंट्रो : वो दिन दूर नहीं जब पुरुष भी महिलाओं वाले नाम रखने लगेंगे। उदाहरण के लिए अब आपको मिस्टर सीता, सावित्री, कामिनी मिलेंगे।
© श्रीमति अर्चना चतुर्वेदी