हिन्दी साहित्य – व्यंग्य ☆ अमेरिका से फोन ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय

श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जय प्रकाश पाण्डेय  जी का एक प्रयोग – एक मार्मिक माइक्रो व्यंग्य आज सोशल मीडिया इस तरह की अनेकों मार्मिक घटनाओं से भरा पड़ा है। प्रश्न यह उठता है कि इनसे कितने लोगों की आँखें खुलती हैं? किन्तु, ऐसे माइक्रो व्यंग्य के प्रयोग आवश्यक हैं।)

“हलो…. बेटा तुम्हारे पापा अस्पताल में बहुत सीरियस हैं तुम्हें बहुत याद कर रहे हैं, उनका आखिरी समय चल रहा है। यहां मेरे सिवाय उनका कोई नहीं है। कब आओगे बेटा ?”

“माँ बहुत बिजी हूँ । वैसे भी इण्डिया में अभी बहुत गर्मी होगी, तुम्हारे घर में एसी भी नहीं है। छोटे भाई से बात करता हूँ कि अभी वो इण्डिया जाकर उन्हें देख ले फिर माँ के समय मैं चला जाऊँगा। तुम तो समझती हो माँ … मुझे तुम से ज्यादा प्यार है।”

 

© जय प्रकाश पाण्डेय

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