श्री शांतिलाल जैन 

 

(आदरणीय अग्रज एवं वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री शांतिलाल जैन जी विगत दो  दशक से भी अधिक समय से व्यंग्य विधा के सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपकी पुस्तक  ‘न जाना इस देश’ को साहित्य अकादमी के राजेंद्र अनुरागी पुरस्कार से नवाजा गया है। इसके अतिरिक्त आप कई ख्यातिनाम पुरस्कारों से अलंकृत किए गए हैं। इनमें हरिकृष्ण तेलंग स्मृति सम्मान एवं डॉ ज्ञान चतुर्वेदी पुरस्कार प्रमुख हैं। आज  प्रस्तुत है श्री शांतिलाल जैन जी का नया व्यंग्य   मेहमानी, सशर्त जो हो गयी है”। मैं श्री शांतिलाल जैन जी के प्रत्येक व्यंग्य पर टिप्पणी करने के जिम्मेवारी पाठकों पर ही छोड़ता हूँ। अतः आप स्वयं  पढ़ें, विचारें एवं विवेचना करें। हम भविष्य में श्री शांतिलाल  जैन जी से  ऐसी ही उत्कृष्ट रचनाओं की अपेक्षा रखते हैं। ) 

 

☆☆ मेहमानी, सशर्त जो हो गयी है’ ☆☆

 

माफ करना दोस्त, हम तुम्हारी पार्टी में आ नहीं पायेंगे.

तुम्हारा ग्रीन थीम पार्टी का एक आकर्षक, संगीतमयी आमंत्रण वाट्सअप पर मिला. बुलावे में तुमने एक ड्रेस-कोड भी दिया है. हमें डार्क-ग्रीन पंजाबी ड्रेस पहनकर आने को कहा गया है. मेहमान वैसे दिखें जैसे तुम देखना चाहते हो. गहरा हरा रंग ठीक भी है दोस्त, कहते हैं ईजी मनी के सावन में चुंधियायी आँखों को सब तरफ हरा-हरा नज़र आता है. तुमने वही रंग चुना. ड्रेस-कोड फॉर मेंस – गहरा हरा पंजाबी कुर्ता और एम्ब्रोयडरी वर्क वाली मैचिंग लुंगी या डबल प्लेट वाली लूज पैंट. विमेन्स के लिये डार्क-ग्रीन पटियाले सूट या साड़ी. साथ में ब्रेडेड बालों में ग्रीन परांदे और हरी जुत्तियाँ.

बस यहीं पर मात खा गये अपन. गहरी हरी पंजाबी पोशाक का जुगाड़ बन नहीं पा रहा. हमारी मुफ़लिसी की थीम तुम्हारे आयोजन की थीम से मैच नहीं कर पा रही. निमंत्रण ग्रीन का है और हम पीले पड़ते जा रहे हैं.

ऐसा नहीं कि हमने कोशिश नहीं की. हमारे वार्ड-रोब का क्षेत्रफल एक सेकंड-हेंड गोदरेज अलमारी तक सिमट गया है. उसे उलट पुलट करने पर एक हरा कुर्ता निकला है, मगर वो गहरा हरा नहीं है. लुंगी हरी जैसी दिखती है मगर उस पर एम्ब्रोयडरी वर्क नहीं है. अक्सर हम उसे रात में सोते समय लपेट लेते हैं. जैसी भी है पार्टी में उसके बार-बार खिसक जाने की रिस्क तो है ही. हरे पैंट की चैन खराब है. रफूसाज एक दिन में उसे ठीक करके देगा नहीं. हुक टूट जाये तो बेल्ट बांध ले आदमी, चैन खुली रख कर कैसे आये ? एक व्हाईट ड्रेस भी है मेरे पास. पार्टी के लिये उसे गहरा हरा रंगवाया जा सकता है मगर तब मैं छब्बीस जनवरी को क्या पहनूंगा ?

समस्याएँ वाईफ़ की ड्रेस के साथ भी हैं. कुर्ती तो डार्क ग्रीन है मगर सलवार कंट्रास्ट है. किसी शादी की विदाई में मिली एक डार्क ग्रीन साड़ी है मगर उसमें फाल पिको होना बाकी है. मैचिंग पोल्का भी नहीं मिल रहा. पार्लरवाली ब्रेडेड बाल सजाने के साढ़े आठ सौ रूपये लेती है और पहली तारीख निकले को बाईस दिन बीत गये हैं. फिर ड्रेस हो कि जुत्तियां, मांग कर पहनना हमारी फितरत में नहीं है दोस्त.

ये कोशिशें हमने इसलिए की हैं कि नहीं आयेंगे तो तुम बुरा मान जाओगे. और बदरंग कपड़े पहन के आयेंगे तो पार्टी में तुम्हारी भद पिटेगी. हम तुम्हारी भद नहीं पिटवायेंगे. तुम्हारे इन्विटेशन में, छोटे-छोटे दो चौकोर में छपे ड्रेस के फोटो ताकीद करते हैं कि मेहमान घर से चले तो अपनी ड्रेस चेक करके चले. थीम से मैच करे तो आये. आये तो आये, नी तो…… सो हमने भाड़ में जाने का मन बनाया है दोस्त.

थीम पार्टियाँ निओ-रिच क्लास का पसंदीदा शगल है जिसमें तुम बाहैसियत शामिल हो गये हो दोस्त. तुम्हारी मेहमानी अब सशर्त होने लगी है और शर्त पूरी करने की हैसियत अपन की है नहीं. होती भी तो हम मेहमानी शर्तों पर क्यों करवायेँ? हम तुम्हारे लिये उपयुक्त मेहमान नहीं हैं दोस्त. तो माफ करना, हम नहीं आ रहे हैं.

 

© श्री शांतिलाल जैन 

F-13, आइवोरी ब्लॉक, प्लेटिनम पार्क, माता मंदिर के पास, TT नगर, भोपाल. 462003.

मोबाइल: 9425019837

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