हिन्दी साहित्य – ई-अभिव्यक्ति संवाद – ☆ 150वीं गांधी जयंती विशेष-1 ☆ अतिथि संपादक की कलम से ……. महात्मा गांधी प्रसंग ☆ – श्री जय प्रकाश पाण्डेय
ई-अभिव्यक्ति -गांधी स्मृति विशेषांक – 1
श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। इस विशेषांक के लिए सम्पूर्ण सहयोग एवं अतिथि संपादक के दायित्व का आग्रह स्वीकार करने के लिए हृदय से आभार। श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी के सहयोग के बिना इस विशेषांक की कल्पना मेरे लिए असंभव थी.
हम अत्यंत कृतज्ञ है हमारे सम्माननीय गांधीवादी चिन्तकों, समाजसेवियों एवं सभी सम्माननीय वरिष्ठ एवं समकालीन लेखकों के जिन्होंने इतने काम समय में हमारे आग्रह को स्वीकार किया. इतनी उत्कृष्ट रचनाएँ सीमित समय में उत्कृष्टता को बनाये रखते हुए एक अंक में प्रकाशित करने के लिए असमर्थ पा रहे हैं अतः आज 2 अक्तूबर 2019 को ई-अभिव्यक्ति -गांधी स्मृति विशेषांक – 1 तथा कल 3 अक्तूबर 2019 को ई-अभिव्यक्ति -गांधी स्मृति विशेषांक – 2 प्रकाशित करेंगे.
सीमित समय, साधनों एवं तकनीकी कारणों से इस विशेषांक को प्रकाशित करने में कतिपय विलम्ब के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं.
-हेमन्त बावनकर
☆ ई-अभिव्यक्ति संवाद -अतिथि संपादक की कलम से ……. महात्मा गांधी प्रसंग☆
” खुशी के आंसू से
लिखे दो शब्द”
150 साल पहले पोरबंदर की धरती पर एक असाधारण व्यक्तित्व मोहनदास करमचंद गांधी उतरे, फिर पूरी दुनिया में अपने विचारों और कर्मों से महात्मा बनकर उभरे। यह खुशी की बात है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया है, गांधी जी के सिद्धांतों के लिए मानवता की यही सच्ची श्रद्धांजलि है।
महात्मा गांधी की प्रासंगिकता पर डॉ मार्टिन लूथर किंग ने कहा था ‘यदि मानवता की प्रगति करना है तो गांधी से बच नहीं सकते। शांति और सौहार्द की दुनिया की विकसित होती मानवता के विजन से प्रेरित होकर वे जिए और वैसे ही उन्होंने विचार और कर्म किए।’
महात्मा गांधी की 150 वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में ई-अभिव्यक्ति दैनिक साहित्यिक पत्रिका (वेब संस्कारण) का गांधी स्मृति अंक आपके सामने प्रस्तुत है। अल्प समय में देश भर से ख्यातिलब्ध गांधीवादी चिंतकों के लेख, गांधी पर क्रेदिंत संस्मरण, व्यंग्य, लघुकथा एवं कविताएँ भेजकर अंक को उत्कृष्ट बनाने में अपना योगदान दिया है, हम सभी रचनाकारों के आभारी हैं।
जबलपुर से हमने और बैंगलोर में बैठे श्री हेमन्त बावनकर ने चार दिन पहले दूरभाष पर बात करते हुए गांधी स्मृति अंक की परिकल्पना की और मात्र तीन दिन में ख्यातिलब्ध लेखकों से निवेदन कर पूरे देश से रचनाएं प्राप्त करने के प्रयास किए। हम आभारी हैं प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक एवं समाजसेवी श्री मनोज मीता जी, प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक श्री राकेश कुमार पालीवाल जी, महानिदेशक (आयकर) हैदराबाद, व्यंग्य शिल्पी एवं संपादक श्री प्रेम जनमेजय, डॉ सुरेश कांत, डॉ कुंदन सिंह परिहार, डॉ मुक्ता जी, श्री अरुण डनायक, श्रीमती सुसंस्कृति परिहार, श्री संजीव निगम, श्रीमति समीक्षा तैलंग, श्रीमति निशा नंदिनी भारतीय, मराठी साहित्यकार श्री सुजित कदम एवं सभी रचनाकारों के जिन्होंने इस अंक को उत्कृष्ट दस्तावेज में तब्दील करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ई-अभिव्यक्ति पत्रिका के संपादक श्री हेमन्त बावनकर की कड़ी मेहनत हेतु साधुवाद।
शुभकामनाओं सहित
स्नेही
जय प्रकाश पाण्डेय
416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002 मोबाइल 9977318765