श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष
श्री मच्छिंद्र बापू भिसे
(श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के विशेष पर्व पर प्रस्तुत है श्री मच्छिंद्र बापू भिसे जी की कविता “गोपाला – गोपाला“।
एकता का जश्न हो,
मानवता ही श्रीकृष्ण हो,
नाम भले अनेक हो,
हम सब भारतीय बनेंगे,
हृदय हम सबका एक हो.
? गोपाला-गोपाला ?
देवकी का लाल भी तू,
यशोदा का गोपाल भी तू,
वासुदेव का प्यारा भी तू,
नंद का दुलारा भी तू,
गोपियों का मतवाला तू,
सृष्टी का रखवाला,
गोपाला, गोपाला,
सबके प्यारे-प्यारे गोपाला.
कंस का भाँजा भी तू,
बना उसका काल भी तू,
बलराम का भ्राता भी तू,
सबका बना दाता भी तू,
द्रौपदी की लाज भी तू,
अर्जुन का सरताज भी तू,
रामायण का राम भी तू,
महाभारत का कृष्ण भी तू,
सबमें तू और तुझमें है सब,
कैसा यह खेल निराला?
गोपाला, गोपाला,
सबके प्यारे-प्यारे गोपाला.
आज….
राम का रामचंद्र भी तू,
रहीम का रहमान भी तू,
मंदिर का भजन भी तू,
मस्जिद की अजान भी तू,
गीता का वचन भी तू,
पाक कुरान का कहन भी तू,
गुरूग्रंथ का नानकदेव भी तू,
बाइबिल का ईसा-मसीह भी तू,
न तेरा धर्म कोई,
न किसी को माना है निराला,
गोपाला, गोपाला,
सबके प्यारे-प्यारे गोपाला.
© मच्छिंद्र बापू भिसे
भिराडाचीवाडी, डाक भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा – ४१५ ५१५ (महाराष्ट्र)
मोबाईल नं.:9730491952 / 9545840063
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“एकोहं द्वितीयोनास्ति” इस अद्वेत भाव को अभिव्यक्त करती सुंदर भक्ति रचना,
बधाई श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की