हिन्दी साहित्य – श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष – कविता – ☆ दो कवितायें ☆ – श्रीमति विशाखा मुलमुले
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष
श्रीमति विशाखा मुलमुले
(श्रीमती विशाखा मुलमुले जी का e-abhivyakti में हार्दिक स्वागत है। आप कविताएँ, गीत, लघुकथाएं लिखती हैं। आपकी रचनाएँ कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं/ई-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रही हैं। आपकी कविताओं का पंजाबी एवं मराठी में भी अनुवाद हो चुका है। हम आशा करते हैं कि हम भविष्य में उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर दो कवितायें निरागस जिज्ञासा तथा एकात्मकता )
संक्षिप्त परिचय
- कविताओं को कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में स्थान मिला है जैसे अहा! जिंदगी, दुनिया इन दिनों, समहुत, कृति ओर, व्यंजना (काव्य केंद्रित पत्रिका) सर्वोत्तम मासिक, प्रतिमान, काव्यकुण्ड, साहित्य सृजन आदि।
- आपकी रचनाओं को कई ई-पत्रिकाओं/ई-संस्करणों में भी स्थान मिला है जैसे सुबह सवेरे (भोपाल), युवा प्रवर्तक, स्टोरी मिरर (होली विशेषांक ई पत्रिका), पोषम पा, हिन्दीनामा आदि।
- राजधानी समाचार भोपाल के ई न्यूज पेपर में ‘विशाखा की कलम से’ खंड में अनेक कविताओं का प्रकाशन
- कनाडा से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘पंजाब टुडे’ में भाषांतर के अंतर्गत एक कविता अमरजीत कुंके जी ने पंजाबी में अनुदित
- आपकी कविता का ‘सर्वोत्तम मासिक’ एवं ‘काव्यकुण्ड’ पत्रिका के लिए वरिष्ठ कवयित्री अलकनंदा साने जी द्वारा मराठी में अनुवाद व आशीष
- कई कवितायें तीन साझा काव्य संकलनों में प्रकाशित
☆ दो कवितायें – निरागस जिज्ञासा तथा एकात्मकता ☆
1.
निरागस जिज्ञासा
मुझे तो तेरे मुकुट पर फूल गोकर्ण का
मोरपंख सा लगता है,
कृष्ण बता, तुझे ये कैसा लगता है?
मुझे तो तेरी मुरली की धुन
अब भी सुनाई देती है,
कृष्ण बता अब भी तू क्या
ग्वाला बन के फिरता है?
तुझे तो मैं कई सदियों से
माखन मिश्री खिलाती हूँ,
कृष्ण बता अब भी तू क्या
माखनचोरी करता है?
मुझे तो अब भी यमुना में
अक्स तेरा दिखता है,
कृष्ण बता अब भी तू क्या
कालियामर्दन करता है?
मुझे तो हर एक माँ
यशोदा सी लगती है,
कृष्ण बता अब भी तू क्या
जन्म धरा पर लेता है?
2.
एकात्मता
तू मुझे प्यार करे या मैं तुझे प्यार करूँ
बात एक है ना, प्यार है ना!
तू मेरे साथ चले या मैं तेरे साथ चलूँ,
बात एक है ना ,साथ है ना!
कि दोनों ही ऊर्जा बड़ी सकारात्मक है,
“प्यार” संग “साथ “हो तो पंथ ही दूजा है
वो आत्मा हो जाती है कृष्णपंथी
फिर मुरली हो या पाँचजन्य, बात एक है ना!
कि कृष्ण कहाँ सबके साथ था,
सबमे उनकी अनंत ऊर्जा का निवास था
फिर वो राधा हो या मीरा,
देवकी हो या यशोदा,
बात एक ही है ना!
© विशाखा मुलमुले
पुणे, महाराष्ट्र