श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी का साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। अब सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकेंगे। )
☆ संकल्प ☆
प्रथम पूज्य, गजानन, श्रीगणेश को नमन।…
एक अनुरोध, वाचन संस्कृति का निरंतर क्षय हो रहा है। श्रीगणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक किसी एक पुस्तक / ग्रंथ का अध्ययन करने का संकल्प करें।
प्रतिदिन कुछ पृष्ठ पढ़ें और मनन करें।
महर्षि वेदव्यास के शब्दों को ‘महाभारत’ के रूप में लिपिबद्ध करने वाले, कुशाग्रता के देवता के प्रति यह समुचित आदरभाव होगा।
श्रीगणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
© संजय भारद्वाज, पुणे
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी
मोबाइल– 9890122603
जानकारी बढाने वाला लेखन।