☆ संस्थाएं ☆ “जाणीव…वृद्धों का अपना घर” ☆ साभार – श्री संजय भारद्वाज ☆
☆
पुराने पत्तों पर नयी ओस उतरती है,
अतीत का चक्र वर्तमान में ढलता है,
सृष्टि यौवन का स्वागत करती है,
अनुभव की लाठी लिए बुढ़ापा साथ चलता है।
☆
बचपन और बुढ़ापा, जीवन की अवस्था के दो ध्रुव हैं। बचपन में कौतूहल है, जिज्ञासा है, प्रश्न अनंत हैं। बुढ़ापे में न कौतूहल, न जिज्ञासा पर चाहें तो परमानंद हैं। पूरी निष्ठा से परमानंदी जीवन जीने का नाम है जाणीव, अ होम फॉर सीनियर सिटिजन्स।
जाणीव मूल रूप से मराठी शब्द है जिसका अर्थ है चेतना या भान या अनुभूति। मराठी में इसका उच्चारण ज़ाणीव होता है।
लगभग ढाई दशक पहले 6 घरेलू महिलाओं में जगी चेतना। चेतना, घर से विस्थापित वृद्धों के स्वाभिमानी और आनंदी जीवन जी सकने के लिए सीनियर सिटिजन होम खड़ा करने की। फलत: स्थापित हुआ, जाणीव, अ होम फॉर सीनियर सिटिजन्स।
निराशा को आशा, निरुत्साह को उत्साह में बदलने का नाम है जाणीव। जाणीव, पुणे-अहमदनगर मार्ग पर फुलगांव नामक स्थान पर स्थित है। जाणीव में प्रवेश करते ही लगता है जैसे नंदनवन में कदम रख दिये हों। यह नंदनवन प्राकृतिक सौंदर्य से लकदक है। जाणीव के परिसर में बड़ी संख्या में फलों के वृक्ष हैं। यहाँ आम के बड़े पेड़ हैं तो चीकू के घने पौधे भी हैं।
जामुन की महक है तो अमरूद की खुशबू भी है।
सीताफल है तो साथ में रामफल तो होगा ही।
अपरिमित संभावनाओं के साथ खड़े पीपल और नीम हैं। यहाँ नारियल है, पपीता है, नीबू है। पूरे परिसर में तुलसी के पौधों से भरे छोटे-छोटे उपवन मानो वृंदावन हैं।
पौधे हों या पेड़, किसीमें भी रासायनिक खाद का उपयोग नहीं होता। यहाँ सारी उपज सेंद्रिय अर्थात ऑर्गेनिक है।
जाणीव सुंदर वृक्षों से भरा है। यहाँ सघन गुलमोहर हैं, ऊँचे-ऊँचे अशोक हैं। बड़े पत्तों वाला यह पेड़ जिसे स्थानीय स्तर पर देसी बादाम कहा जाता है, यहाँ विराजमान है तो चंपा के वृक्षनुमा पौधे भी अपने पूरे विस्तार के साथ खड़े हैं।फायकस हो या शोभा के अन्य वृक्ष, सभी यहाँ फल रहे हैं, फूल रहे हैं। अनेक प्रजातियों के छोटे-बड़े पौधे और झाड़ियाँ यहाँ की अनुपम प्राकृतिक छटा में चार चाँद लगा रहे हैं।
यूँ देखें तो जीवन का संचित निस्वार्थ भाव से अपनों के लिए लुटानेवाले वृद्ध, घने वृक्षों जैसे ही होते हैं। जाणीव का परिसर फूलों के सौरभ से महकता है। यहाँ रहने वाले वृद्धों के अनुभव की सोंध और यह सौरभ मानो दुग्ध शर्करा योग हैं।
जाणीव में छोटे-छोटे ब्लॉक्स हैं। हर ब्लॉक में चार कमरे हैं। प्रत्येक कमरे में दो लोगों की रहने की व्यवस्था है। हर कमरे के सामने छोटा-सा सिटआउट है, रेस्ट चेयर है। यहाँ बैठकर वृद्ध प्रकृति का सान्निध्य अनुभव कर सकते हैं। कमरे के सामने व्हीलचेयर के लिए ढलान या दिया गया है। कमरे में बुज़ुर्गों का निजी सामान रखने के लिए वॉर्डरोब है। बुज़ुर्गों की सुविधा के लिए कमोड सिस्टम है, सहारा लेकर उठ सकने के लिए विशेष तौर से बनाया गया सपोर्ट है।
आश्रम में सौर ऊर्जा या सोलर सिस्टम है जिससे हर कमरे में गर्म पानी की व्यवस्था की गई है। वृद्धों को किसी तरह की असुविधा न हो, इसके लिए हर कमरे के लिए इन्वर्टर का बैकअप है।
चलते समय यदि सहारा लेना पड़े तो दोनों ओर रेलिंग की व्यवस्था है।
जहाँ आवश्यक हैं, वहाँ पक्के रास्ते बने हैं, शेष स्थान पर मिट्टी है। इसका लाभ यह कि यदि कभी किसी बुजुर्ग का संतुलन बिगड़ जाए तो माटी उनकी रक्षा कर सके।
परिसर में बाउंड्री वॉल के साथ जॉगिंग या वॉकिंग के लिए ट्रैक बना हुआ है। वृद्धजन इस प्राकृतिक वातावरण में परिसर के भीतर ही आनंद से घूम सकते हैं, हल्का व्यायाम कर सकते हैं।
जाणीव के परिसर में विघ्नहर्ता श्रीगणेश का पावन धाम है। इस मंदिर का सौंदर्य और यहाँ विराजमान मूर्ति आँखों में बस जाते हैं। साथ ही विट्ठल- रखुमाई अर्थात श्रीकृष्ण और रुक्मिणी तथा साईंबाबा भी हैं। मंदिर परिसर में शिवलिंग स्थापित हैं। मंदिर की स्थापना के लिए विशेष तौर पर सद्गुरु वामन राव पै पधारे थे।
मंदिर परिसर में विभिन्न आयोजन होते हैं। पुणे के हिंदी आंदोलन परिवार द्वारा किए जाने वाले तुलसी विवाह का दृश्य मन के भीतर तक उतर जाता है।
जाणीव की रसोई सभी सुविधाओं से सम्पन्न आदर्श आधुनिक रसोई है। यहाँ सुपाच्य, शुद्ध शाकाहारी भोजन की व्यवस्था है। प्रातः चाय, तत्पश्चात जलपान, दोपहर का भोजन, संध्या को चाय-बिस्किट, रात्रि का भोजन.., सारी व्यवस्था बिलकुल घर जैसी।
कहा जाता है, अनुभव से ही जीवन में ज्ञान की प्राप्ति होती है। हर अनुभव प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त करने के लिए जीवन कम पड़ जाता है। ऐसे में काम आती हैं पुस्तकें। ज्ञान का असीम भंडार होती हैं पुस्तकें। जाणीव का अपना पुस्तकालय है। इसमें हिंदी, मराठी, अंग्रेजी की पुस्तकें बड़ी संख्या में हैं। यहाँ वृद्धों के मनोरंजन की अच्छी व्यवस्था भी है।
मुख्य हॉल में टीवी है, जहाँ सब साथ बैठकर दूरदर्शन का आनंद ले सकते हैं।यहाँ कैरम, शतरंज, लूडो जैसे इनडोअर खेलों की सुविधा है।
जाणीव में 24 घंटे एंबुलेंस की व्यवस्था रखी गई है, जिससे किसी भी आपात स्थिति में संबंधित वृद्ध को समुचित उपचार मिल सके। जाणीव में वृद्धों का नियमित हेल्थ चेकअप किया जाता है।
यहाँ का सेवक वर्ग कर्तव्यपरायण और सेवाभावी है। यहाँ लगभग 100 लोगों की क्षमता वाला एक इको फ्रेंडली सभागार है। सभागृह में तीन तरफ से जालियाँ लगी हुई हैं। इन जालियों के चलते लगता है मानो आप बगीचे में बैठकर कोई आयोजन देख रहे हों।
इस सभागृह में किटी पार्टी, वरिष्ठ नागरिक मेला, बर्थडे सेलिब्रेशन से लेकर कॉरपोरेट इवेंट तक किए जा सकते हैं। शैक्षिक, साहित्यिक आयोजनों, एक दिन की कॉन्फ्रेंस के लिए भी यह स्थान आदर्श है। भोजन के लिए हॉल के बाहर प्राकृतिक वातावरण में समुचित स्थान उपलब्ध है।
जीवन में ऊँचा और ऊँचा उड़ने की इच्छा रखता है मनुष्य। मनुष्य के मन की इस इच्छा को तन में उतारता है झूला। परिसर में वृद्धों के सुरक्षित झूलने के लिए सुंदर झूले की व्यवस्था है।
जाणीव में स्थाई या अस्थाई रूप से कुछ समय रहने की व्यवस्था भी है। जाणीव की ढाई दशक की यात्रा शून्य से शिखर का प्रवास है।
जाणीव, अ होम फॉर सीनियर सिटिजन्स की जानकारी लेने अथवा आश्रम की विभिन्न गतिविधियों में सहयोग देने के लिए आप [email protected] पर सम्पर्क कर सकते हैं।
जुड़िए भीतर की चेतना से, जुड़िए जीवन की सार्थकता से, जुड़िए जाणीव से।
साभार – श्री संजय भारद्वाज
अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय, एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, न्यू आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस कॉलेज (स्वायत्त) अहमदनगर ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
संजयउवाच@डाटामेल.भारत
≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈