हिन्दी साहित्य – संस्मरण – ☆ 150वीं गांधी जयंती विशेष -2 ☆ बा और बापू ☆ श्रीमति हेमलता मिश्र “मानवी “

ई-अभिव्यक्ति -गांधी स्मृति विशेषांक-2

श्रीमति हेमलता मिश्र “मानवी “

(सुप्रसिद्ध, ओजस्वी,वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती हेमलता मिश्रा “मानवी”  जी  विगत ३७ वर्षों से साहित्य सेवायेँ प्रदान कर रहीं हैं एवं मंच संचालन, काव्य/नाट्य लेखन तथा आकाशवाणी  एवं दूरदर्शन में  सक्रिय हैं। आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय स्तर पर पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, कविता कहानी संग्रह निबंध संग्रह नाटक संग्रह प्रकाशित, तीन पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद, दो पुस्तकों और एक ग्रंथ का संशोधन कार्य चल रहा है।आज प्रस्तुत  महात्मा गाँधी जी की 150  वीं जयंती पर एक संस्मरण “बा और बापू ”

 

संस्मरण – बा और बापू ☆

 

मैं पिछले वर्ष महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा की त्रिदिवसीय संगोष्ठी में पेपर पढ़ने के लिए आमंत्रित थी व शिरकत की थी। वहां पर भाषणों के दौरान सुना यह प्रसंग मुझे बहुत ही प्रभावित कर गया था जिसे आज गाँधीजी की जयंती पर आपसे शेयर कर रही हूँ। निःसंदेह आप लोगों को भी बहुत पसंद आएगा यह प्रसंग – – –

सच कहूँ तो गाँधीजी और कस्तूरबा  के जीवन का यह बड़ा सुंदर प्रसंग आज के दौर में भी बड़ा प्रेरक और प्रयोज्य है, विशेषकर दांपत्य जीवन में–

– – – “तो एक बार एक मुँहलगे पत्रकार ने बापू से पूछा बापू दुनिया में सब से सुन्दर स्त्री कौन है,

कुछ ही दूर बा भी बैठीं थीं। बापूजी पत्रकार की शरारती मंशा समझ गए। झट से बोले कस्तूरबा से सुंदर कोई नहीं।

पत्रकार भी बड़ा नटखट था।बा से पूछा बापू की बात सही है क्या बा??

और बा का उत्तर सुनकर आप सभी कायल हो जाएंगे उन दोनों के बीच सामंजस्य समन्वय के – कस्तूरबा ने बड़ी शर्मीली शांत मुद्रा में कहा बापूजी कभी झूठ नहीं बोलते। और उस नटखट से शरारती पत्रकार को बगलें झांकने के सिवाय कुछ नहीं सूझा।

 

© हेमलता मिश्र “मानवी ” 

नागपुर, महाराष्ट्र