श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।”
आज प्रस्तुत है समसामयिक विषय पर आधारित आलेख – “तीसरा विश्वयुद्ध!”.)
☆ आलेख ☆ “तीसरा विश्वयुद्ध!” ☆ श्री राकेश कुमार ☆
(समसामयिक)
तीसरा विश्वयुद्ध! विगत अनेक वर्षों से इस शब्द को सुनते आ रहे हैं। कब होगा ?
पहला और दूसरा तो इतिहास बन चुके हैं। आने वाले विद्यार्थियों को एक विषय और इसकी तारीखें भी याद रखनी पढ़ेगी। हमारे सोशल मीडिया तो हमेशा से मज़े लेने में अग्रणी रहता ही हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी चौबीसों घंटे रक्षा विशेषज्ञों के मुंह में अपने शब्द डालकर उनको भी अपनी विचार-वार्ता का भाग बनाने में गुरेज़ नही करते। नए नए विश्व के राजनैतिक समीकरण और ना जाने अपनी कल्पना की उड़ान से सामरिक महत्व की बातों से मीडिया प्रतिदिन नई सामग्री परोस का अपनी टीआरपी को बढ़ा कर विज्ञापन की दरों से अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं।
केन्द्रीय सरकार के कुछ मंत्री यूक्रेन के पड़ोसी देश रवाना हो गए हैं। इसी प्रकार अनेक राज्य सरकारों ने भी अपने आला अधिकारियों को दिल्ली और मुंबई में वापिस आए हुए छात्राओं के स्वागत के लिए तैनात कर दिया हैं। संभवतः ……!
हॉलीवुड और बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं को भी एक विषय मिल गया है। उन्होंने भी अपने फिल्मी लेखकों को इस कार्य के लिए बयाना भी दे दिया होगा।सुनने में आया है,कुछ फिल्मों के टाइटल भी इस बाबत रजिस्टर्ड करवा लिए हैं।
हमारे भविष्य वक्ता अपनी पंचांग में छपी हुई भविष्य वाणी सच साबित बता कर अपने पंचांग की वृद्धि करने में लग गए हैं।हर कोई अपनी दुकान / व्यापार में यूक्रेन युद्ध को भंजा रहा हैं। दूसरों के घर में लगी हुई आग पर हर कोई रोटियां सेकने की कोशिश कर रहा हैं। टेंशन और खोफ का वातावरण बनाए जाने के प्रयास चारो दिशाओं में हो रहे हैं।
क्या यह आपदा में अवसर नहीं है?
© श्री राकेश कुमार
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