श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी   की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय  एवं  साहित्य में  सँजो रखा है । आज प्रस्तुत है  आपके नवीन व्यंग्य “हम कान हैं “ का सस्वर पाठ। ) 

☆ व्यंग्य – हम कान हैं

श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी का यह व्यंग्य वास्तव में एक प्रयोग है। इस व्यंग्य की रचना अभी हाल ही में की गई है जो कि अप्रकाशित है। हमें पूर्ण विश्वास है कि आप व्यंग्य विधा की इस रचना को सुनकर कदापि निराश नहीं होंगे और अपने मित्रों से अवश्य साझा करेंगे।

आप आदरणीय श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी के नवीनतम व्यंग्य  ” हम कान हैं “ उनके चित्र अथवा यूट्यूब लिंक पर क्लिक कर उनके ही स्वर में सुन सकते हैं।

 

आपसे अनुरोध है कि आप यह कालजयी रचना सुनें एवं अपने मित्रों से अवश्य साझा करें। ई- अभिव्यक्ति इस प्रकार के नवीन प्रयोगों को क्रियान्वित करने हेतु कटिबद्ध है।

© जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765
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Shyam Khaparde

भाई, मज़ा आ गया, बधाई