डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं  महात्मा गाँधी जी के जन्मदिवस पर “गांधी जी के संदर्भ  – दोहे । ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 63– साहित्य निकुंज ☆

☆ गांधीजी के जन्मोत्सव पर विशेष  – दोहे ☆

 

बलिदानों के बाद ही, आया नवल विहान।

तिमिर पाश को चीरकर, निकला हिंदुस्तान।

*

संत महात्मा आदमी, राजा रंक फकीर।

गांधी जी के रूप में, पाई एक नजीर।।

*

 आने वाली पीढ़ियाँ, भले करें संदेह ।

किंतु कभी यह देश था, गांधीजी का गेह ।

*

बापू, गांधी, महात्मा, जन के मुक्ति मुकाम।

मुक्ति मंत्र तुमने दिया, तुमको विनत प्रणाम।

*

देश कहाँ पर जा रहा, जाएगा किस ओर।

आशाओं के धनुष की, खींची हुई है डोर।

*

संकल्पों की साधना, कब होती आसान।

बलिवेदी पर देश की, करो समर्पित प्राण।

*

जय भारत जय हिंद का, गूंज रहा जयघोष

जय बोलो जय मातरम, मन में भरकर जोश।

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Dr Kamna tiwari shrivastava

बहुत बढ़िया