आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि। संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी की एक रचना। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 24 ☆
☆ एक रचना ☆
चार आना भर उपज है,
आठ आना भर कर्ज
बारा आना मुसीबत,
कौन मिटाए मर्ज?
*
छिनी दिहाड़ी,
पेट है खाली कम अनुदान
शीश उठा कैसे जिएँ?
भीख न दो बिन मान
मेहनत कर खाना जुटे
निभा सकें हम फर्ज
*
रेल न बस, परबस भए
रेंग जा रहे गाँव
पीने को पानी नहीं
नहीं मूँड़ पर छाँव
बच्चे-बूढ़े परेशां
नहीं किसी को गर्ज
*
डंडे फटकारे पुलिस
मानो हम हैं चोर
साथ न दे परदेस में
कोई नगद न और
किस पर मुश्किल के लिए
करें मुकदमा दर्ज
***
© आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
२९-४-२०२०
संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,
चलभाष: ९४२५१८३२४४ ईमेल: [email protected]
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈