आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है  आचार्य जी  की एक रचना  नमन मीनाक्षी सुवाचा….। )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 26 ☆ 

नमन मीनाक्षी सुवाचा….☆ 

अरुण अर्णव लाल-नीला

अहम् तज मन रहे ढीला

स्वार्थ करता लाल-पीला

छंद लिखता नयन गीला

संतुलन चाबी, न ताला

बिना पेंदी का पतीला

 

नमन मीनाक्षी सुवाचा

गगन में अरविंद साँचा

मुकुल मन ने कथ्य बाँचा

कर रहा जग तीन-पाँचा

मंजरी सज्जित भुआला

 

पुनीता है शक्ति वर ले

विनीता मति भक्ति वर ले

युक्तिपूर्वक जिंदगी जी

मुक्ति कर कुछ कर्म वर ले

काल का सब जग निवाला

 

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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