डॉ राकेश ‘ चक्र

(हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी  की अब तक शताधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।  जिनमें 70 के आसपास बाल साहित्य की पुस्तकें हैं। कई कृतियां पंजाबी, उड़िया, तेलुगु, अंग्रेजी आदि भाषाओँ में अनूदित । कई सम्मान/पुरस्कारों  से  सम्मानित/अलंकृत।  इनमें प्रमुख हैं ‘बाल साहित्य श्री सम्मान 2018′ (भारत सरकार के दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी बोर्ड, संस्कृति मंत्रालय द्वारा  डेढ़ लाख के पुरस्कार सहित ) एवं उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ‘अमृतलाल नागर बालकथा सम्मान 2019’। आप  “साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र” के माध्यम से  उनका साहित्य आत्मसात कर सकेंगे । इस कड़ी में आज प्रस्तुत हैं  “राष्ट्र अस्मिता .)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र – # 46 ☆

☆ राष्ट्र अस्मिता  ☆ 

भारतवासी भूल न जाना

राष्ट्र अस्मिता के हमले

घायल ये इतिहास पड़ा है

बन्द करो घातक जुमले।।

 

ऊँच- नीच और भेदभाव में

लुटे-पिटे हो तुम सारे

गलती पर गलती करते हो

जागो- जागो अब प्यारे

भूल न जाना क्रूर सिकंदर

भूल न जाना गजनी को

भूल न जाना तुगलक, गौरी

भूल न जाना मदनी को

 

ऐक्य बनाकर चलो सँभलकर

याद करो घाती पिछले।।

 

बाबर को तुम भूल न जाना

उसके रौरव जुल्मों को

मंदिर ढाए, बुर्ज बनाए

देखो सारे उल्मों को

भूल ना जाना नादिरशाह के

खूनी  रक्तापातों को

जुल्म न भूलें औरँगजेबी

शाहजहाँ की घातों को

 

अकबर के भी जुल्म न भूलो

फिर बन जाओगे पुतले।।

 

आसफ खां को भूल न जाना

मत भूलो शाह सूरी को

नहीं बाजबा खान को भूलो

मत भूलो अजमूरी को

देश को लूटा सब मुगलों ने

जमकर ही विनाश किया

अहंकार और जातिवाद ने

भारत सत्यानास किया

 

माटी की सब लाज बचाओ

याद करो कैसे कुचले।।

 

भूल न जाना तुम गोरों को

कैसे कत्लेआम किए

भाई- भाई खूब लड़ाए

सत्ता अपने नाम किए

भूल न जाना डलहौजी को

जिसने गोली प्रहार किए

नहीं भूलना डायर को भी

मानव नरसंहार किए

 

निर्दोषों का खून न भूलें

भूलों से भी ना पिघले।।

 

लूटा जमकर सभी खजाना

देश मेरा कंगाल किया

छोटे से इंग्लैंड ने खुद को

जमकर मालामाल किया

देश बाँटकर, लूटपाट कर

वैभव अपना बढ़ा लिया

मैकाले शिक्षा पद्धति से

नया बवंडर खड़ा किया

 

काले अंग्रेजो जागो

करो न नहले पर दहले।।

 

आजादी के बाद देखता

भारत की तस्वीर को

क्या सपने थे बलिदानी के

भूल गए सब पीर को

स्वारथ में सब लीन हो गए

छोड़ें अपने तीर को

श्रद्धांजलियाँ अर्पित कर दो

अनगिन भगत सुवीर को

 

भूल न जाओ शहादतों को

कुछ बन जाओ तुम उजले।।

 

© डॉ राकेश चक्र

(एमडी,एक्यूप्रेशर एवं योग विशेषज्ञ)

90 बी, शिवपुरी, मुरादाबाद 244001 उ.प्र.  मो.  9456201857

[email protected]

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments