श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(अग्रज एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी जीवन से जुड़ी घटनाओं और स्मृतियों को इतनी सहजता से लिख देते हैं कि ऐसा लगता ही नहीं है कि हम उनका साहित्य पढ़ रहे हैं। अपितु यह लगता है कि सब कुछ चलचित्र की भांति देख सुन रहे हैं। आप प्रत्येक बुधवार को श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’जी की रचनाएँ पढ़ सकेंगे। आज के साप्ताहिक स्तम्भ “तन्मय साहित्य ” में प्रस्तुत है आपकी एक अतिसुन्दर भावप्रवण रचना “अखबार में…….। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – तन्मय साहित्य # 70 ☆
☆ अखबार में…….☆
आज, कोई भी खबर
ऐसी नहीं, अखबार में
अब कहाँ सच मिल रहा है
शहर के बाजार में।
मुँह चिढ़ाते शब्द
बौने से लगे अक्षर
चित्र, मृतकों के,
वहीं, विज्ञापनों के स्वर,
चल रही है, दावतें
स्वर्गस्थ के परिवार में। आज…….
एक पर, दो मुफ्त
मनमाफिक उठा लें ऋण
लोक सेवक बन,
बजाने में, लगे हैं बीन,
चहकते फरमान, प्रतिदिन
मौसमी दरबार में।………
योजनाएं, छ्द्म
कॉलम हैं बने न्यारे
और अंतिम आदमी के
चित्र, रतनारे,
है इधर आरोप, तो कुछ व्यस्त
जय जयकार में। आज………
सफेदी ओढ़े तमस
मुखपृष्ठ पर बैठा
पैरवी, गैरों की
अपनों से रहा ऐंठा,
हो गया ये अब सयाना
फरेबी व्यवहार में।।आज……
© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश
मो. 9893266014
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
ुशब्द प्रवाह तीव्र है,
जो संवेदनशील पाठक
वर्ग को अपनी काव्यधारा
में बहाने के लिए प्रर्याप्त है उच्च कोटि की रचना धार्मिता अभिनंदन अभिवादन मंगलसुप्रभात बधाई आदरणीय श्री
हार्दिक आभार आदरेय बंधुश्री, नमस्कार