श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है। आज प्रस्तुत है आपका एक विचारणीय कविता – “गांव में इन दिनों…”।)
☆ कविता – “गांव में इन दिनों…” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
रात के अंधेरे में
हर गांव में चुपके से
एक गाड़ी आती है
इन दिनों…
गांव के रतजगे में
रामधुन के साथ
गांजा भांग चलता है
इन दिनों…
अंधेरे में कोई
बुधिया के हाथों में
सौ दो सौ गांधी
दे जाता है
इन दिनों…
कोई कुछ कहता है
फिर आंख दिखाता है
बहरा लाचार बुधिया
समझ नहीं पाता है
इन दिनों….
रात मिले गांधी को
टटोलता है लंगड़ा बुद्धू
फिर माता के दरबार में
एक नारियल चढ़ाता है
इन दिनों….
रात के अंधेरे में
प्रसाद के नाम पर
नशे की चीजें जैसी
कोई कुछ दे जाता है
इन दिनों….
रात को मिले गांधी से
गुड़ की जलेबी का
स्वाद लेती मुनिया
चुनाव की जय कह रही है
इन दिनों….
© जय प्रकाश पाण्डेय
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