हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ आशीष साहित्य – # 4 – इंद्रजीत ☆ – श्री आशीष कुमार
श्री आशीष कुमार
(युवा साहित्यकार श्री आशीष कुमार ने जीवन में साहित्यिक यात्रा के साथ एक लंबी रहस्यमयी यात्रा तय की है। उन्होंने भारतीय दर्शन से परे हिंदू दर्शन, विज्ञान और भौतिक क्षेत्रों से परे सफलता की खोज और उस पर गहन शोध किया है। अब प्रत्येक शनिवार आप पढ़ सकेंगे उनके स्थायी स्तम्भ “आशीष साहित्य”में उनकी पुस्तक पूर्ण विनाशक के महत्वपूर्ण अध्याय। इस कड़ी में आज प्रस्तुत है “इंद्रजीत”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ आशीष साहित्य – # 4 ☆
☆ इंद्रजीत ☆
अब तक रावण ज्ञान की कई शाखाओं का मालिक हो गया था । वह आयुर्वेदिक चिकित्सक और औषधि विज्ञान को बहुत अच्छी तरह समझ गया था। अर्क (किसी का सार या रस) निकालने की कला, और असव, आयुर्वेद के ये दो रूप रावण ने ही विकसित किये थे । अर्क का सत्त निकलने के उद्देश्य से, रावण ने अमर वरुनी (अमर का अर्थ जिसकी कभी मृत्यु ना हो या जो कभी बूढ़ा ना हो, और वरुनी का अर्थ है तरल, इसलिए अमर वरुनी एक ऐसा तरल पदार्थ बनाने की प्रक्रिया है जिसके सेवन से मानव सदैव जवान बना रह सकता है) नामक एक यंत्र (मशीन) तैयार की थी ।
असव आयुर्वेद में असव बहुत महत्वपूर्ण खुराक है। इसमें स्वाभाविक रूप से उत्पन्न शराब शामिल है। यह शराब जड़ी बूटियों के सक्रिय अवयवों के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करता है। सभी असवो में 5-10% तक मद्य (अल्कोहल) होता है। हालांकि असव में मद्य होता है, किन्तु इसका सही मात्रा में उपभोग करना शरीर के लिए फायदेमंद होता है ।
रावण एक महान आर्युवेदिक चिकित्सक और वैद्य शिरोमणि (डॉक्टरों के बीच सर्वश्रेष्ठ) बन गया था। उसने बहुमूल्य पुस्तकें नाड़ी परीक्षा (पल्स-परीक्षा), कुमार तंत्र (स्त्री रोग और बाल चिकित्सा से सम्बंधित), उडिसा चिकित्सा और वतीना प्रकारणाय का विवरण भी लिखा। रावण सिंधुरम दवा का संस्थापक भी था। ये दवा घावों को तुरंत ठीक कर देती थी । रावण ने रावण संहिता नामक ज्योतिष की शाखा का आविष्कार भी किया।
रावण ने राशि चक्र के सभी ग्रहों के देवताओं को भी बंधी बना लिया था और उन्हें सूर्य के चारों ओर करने वाली अपनी वास्तविक गति को बदलने के लिए मजबूर कर दिया क्योंकि वह चाहता था कि उसका पहला बच्चा अमर (अर्थात जो कभी मरे ना) के रूप में पैदा होना चाहिए, क्योंकि अगर बच्चे के जन्म के समय राशि चक्र और उसके प्रभाव से बनायीं हुई कुंडली में सभी ग्रह 11 वें घर में हो तो बच्चा अमर रहता है ।इसलिए रावण ने सभी ग्रहों को महान गणना के बाद अपनी गति में हेरफेर करने का आदेश दिया, ताकि जब उसका पहला बच्चा पैदा हो, तो सभी ग्रह आकाश में एक ही स्थिति पर स्थिर रहे ।
परन्तु रावण के पहले बच्चे के जन्म के समय शनि ग्रह के देवता ने अन्य देवताओं की सहायता से,सूर्य के चारों और चक्कर काटने की अपनी गति बढ़ा दी। तो जब रावण के पहले बच्चे मेघनाथ का जन्म हुआ तो सभी ग्रह उसकी जन्म कुंडली में 11 वें घर में थे, शनि को छोड़कर जो 12 वें घर की ओर बढ़ गया था। इस कारण मेघनाथ जन्म से अमर तो नहीं पैदा हुआ, पर फिर भी सभी राक्षसों में सबसे शक्तिशाली था ।
मेघनाथ ‘मेघ’ का अर्थ है बादल और ‘नाथ’ का अर्थ भगवान है, इसलिए मेघनाथ का अर्थ हुआ बादलों का स्वामी । रावण ने अपने पहले बच्चे को ये नाम इस आशा से दिया था कि एक दिन वह स्वर्ग या बारिश के राजा इंद्र को पराजित करेगा और मेघनाथ या बारिश का भगवान बुलाया जायेगा। बाद में मेघनाथ ने ऐसा किया भी और इंद्र को पराजित करने के बाद इंद्रजीत का नाम भी हासिल किया। कुछ लोग रावण के बड़े बेटे का नाम मेघनाद कहते हैं। फिर से ‘मेघ’ का अर्थ है बादल और ‘नाद’ का अर्थ ध्वनि है, इसलिए मेघनाद वह है जिसकी वाणी में आसमान में गरजते बादलों की तरह ध्वनि है ।
© आशीष कुमार