प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
( आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी की एक भावप्रवण कविता raamcharitmanas। हमारे प्रबुद्ध पाठक गण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 17 ☆
☆ रामचरितमानस ☆
रामचरित मानस कथा आकर्षक वृतांत
श्रद्धापूर्वक पाठ से मन होता है शांत
शब्द भाव अभिव्यक्ति पै रख पूरा अधिकार
तुलसी ने इसमे भरा है जीवन का सार
भव्य चरित्र श्री राम का मर्यादित व्यवहार
पढे औ समझे मनुज तो हो सुखमय संसार
कहीं न ऐसा कोई भी जिसे नही प्रिय राम
निशाचरों ने भी उन्हें मन से किया प्रणाम
दिया राम ने विश्व को वह जीवन आदर्श
करके जिसका अनुकरण जीवन में हो हर्ष
देता निश्छल नेह ही हर मन को मुस्कान
धरती पै प्रचलित यही शाश्वत सहज विधान
लोभ द्वेष छल नीचता काम क्रोध टकरार
शत्रु है वे जिनसे मिटे अब तक कई परिवार
सदाचार ही संजीवनी है समाज का प्राण
सत्य प्रेम तप त्याग से मिलते है भगवान
भक्ति प्रमुख भगवान की देती सुख आंनद
निर्मल मन मंदिर मे भी बसे सच्चिदानंद
© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈