डॉ भावना शुक्ल
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 70 – साहित्य निकुंज ☆
☆ गीत – मैं जीवन हूँ ,तू ज्योति है… ☆
भुलाकर दुश्मनी हमको, गले सबको लगाना है ।
प्यार से जीवन है जीना, प्यार से गुनगुनाना है।
दूर न रह पाउँगा तुझसे, तुझे अपना बनाना है
तू मेरे ही करीब आये, तू मेरा शामियाना है।
तुझे मैंने ही चाहा है, तुझे मैंने ही जाना है
मेरा दिल तो तेरा ही, अब पागल दीवाना है।
तू प्यारा ही मुझे लगता, तेरे बस गीत गाना है।
तेरे छोटे से दिल में तो. मेरा बस ही ठिकाना है।
मैं सच कहता हूँ बस तुझसे, मेरा तू आशियाना है।
मैं जीवन हूँ ,तू ज्योति है, तुझे बस मुस्कुराना है।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
और अब ना कहीं जाना ना आना है