श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है एक अतिसुन्दर, अर्थपूर्ण, विचारणीय  एवं भावप्रवण  कविता “यह कैसा छल है”। ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 20 ☆ 

☆ प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ ☆ 

शहर के चौराहे पर

रक्तरंजित एक लाश पड़ी थी

भीड़ उसे घेरे खड़ी थी

दो नकाबपोश बाईक सवारों नें

यह घटना घड़ी थी

दिन दहाड़े हत्या

प्रशासन के लिए समस्या बड़ी थी

पता चला-

वो एक निर्भिक पत्रकार था

खोजी पत्रकारिता का आधार था

हद दर्जे का शरीफ

और ईमानदार था

उसकी स्टोरी के कारण

बिकता अखबार था

उसने रसूखदारों के खिलाफ

स्टोरी लिखने की

घोषणा की थी

सही तथ्य सामने रखने की

शपथ ली थी

सरमायेंदारोंमें हड़कंप

मचा था

उन्होंने शायद इसीलिए

ये षड़यंत्र रचा था

उस पर पहले भी

हमले हुए थे कई बार

फिर भी वह डरा नहीं

उसूलों से डिगा नहीं हर बार

वो जान हथेली पर लेकर

हर खबर को

शब्दों से गढ़ता था

वो इतना पापुलर था कि

हर व्यक्ति चाहे

वो बूढ़ा, जवान

महिला या बच्चा हो

उसका अखबार

जरूर पढ़ता था

पत्राचार के कोर्स में

उसने जो सबक

याद किया था

उसके वजह से

उसने सत्ता मे

भ्रष्टाचार के खिलाफ

शंखनाद किया था

आज वह चौराहे पर

मृत पड़ा था

क्योंकि उसने

सामंतवादी ताकतों के

खिलाफ युद्ध लड़ा था

क्या कोई पत्रकार

उसकी स्टोरी पूरी करेगा?

सच्ची पत्रकारिता की

मशाल हाथों में धरेगा ?

या प्रजातंत्र का यह

चौथा स्तंभ

सत्ता के गोदी में बैठ

बन जायेगा भाट ?

भूल जायेगा

जनता को

देश को

समस्याओं को

उपभोग करेगा

भीख  में मिलें हुए

ठाट-बाट ?

 

© श्याम खापर्डे 

भिलाई  05/12/20

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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