सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा

(सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी  सुप्रसिद्ध हिन्दी एवं अङ्ग्रेज़ी की  साहित्यकार हैं। आप अंतरराष्ट्रीय / राष्ट्रीय /प्रादेशिक स्तर  के कई पुरस्कारों /अलंकरणों से पुरस्कृत /अलंकृत हैं । हम आपकी रचनाओं को अपने पाठकों से साझा करते हुए अत्यंत गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार शीर्षक से प्रत्येक मंगलवार को हम उनकी एक कविता आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। आप वर्तमान में  एडिशनल डिविजनल रेलवे मैनेजर, पुणे हैं। आपका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है।आपकी प्रिय विधा कवितायें हैं। आज प्रस्तुत है आपकी  एक भावप्रवण रचना “तदबीर”। )

आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी के यूट्यूब चैनल पर उनकी रचनाओं के संसार से रूबरू हो सकते हैं –

यूट्यूब लिंक >>>>   Neelam Saxena Chandra

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार # 61 ☆

☆ तदबीर ☆

 

अच्छी तस्वीर से अच्छी तहरीर

बनना ज़रूरी नहीं है जनाब-

हाँ, अच्छी तहरीर ज़रूर

अच्छी तस्वीर बना सकती है|

 

सुनो,

कूट-कूटकर जोश और जुस्तजू को

अपनी ज़िंदगी की किताब के

हर एक सफ्हे पर बिछा दिया करो,

फिर उसे रौशनी के जुगनुओं से

खूबसूरती से सजा दिया करो-

देखना कैसे तबस्सुम की लाली

तहरीर पर छा जायेगी!

हाँ! वो हर पढने वाले के

अंग-अंग में समा जायेगी,

और उस पढने वाले की तस्वीर में

रंगत ही रंगत छा जायेगी!

 

तहरीर से खूबसूरत तस्वीर बनाना

यही ख़ास तदबीर है!

 

तहरीर – writing

सफ्हे – page

तदबीर – strategy

 

© नीलम सक्सेना चंद्रा

आपकी सभी रचनाएँ सर्वाधिकार सुरक्षित हैं एवं बिनाअनुमति  के किसी भी माध्यम में प्रकाशन वर्जित है।

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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