श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है एक अतिसुन्दर, अर्थपूर्ण, विचारणीय  एवं भावप्रवण  कविता “जरा मुस्कुराइये”। ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 21 ☆ 

☆ जरा मुस्कुराइये ☆ 

फूलों की तरह खिलकें

खुशबू लुटाइये

जिंदगी खूबसूरत है

जरा मुस्कुराइये

जब सुनहरी किरणें चूमती है

शुभ्र हिमखंडो के भाल

आरक्त हो जातें हैं वे

जैसे गोरे गोरे गाल

जब पिघलती है बर्फ

बन जाता है जल

बहती है नदिया

कैसे कल-कल

इस पिघलती बर्फ सा

जरा पिघल जाईये

जिंदगी खूबसूरत है

जरा मुस्कुराइये

इन बहती हवाओं में

कैसी है उमंग

इन झरनों के जल में

कैसी है तरंग

शरद का आगमन

कितना मनोहारी है

बीत गई वर्षा

अब शरद ऋतु की

बारी है

इस सुहावने मौसम को

जरा और सुहावना बनाइयें

जिंदगी खूबसूरत है

जरा मुस्कुराइये

आकाश में जगमगा रही है

वो रंगीन कहकशां

धरती पर गुलाबी ठंड का

छाया है नशा

गुनगुनी रात कोई

बुन रही है कहानी

आगोश में चाँद के

खोई है चाँदनी

चाँद के हिंडोले पर

जरा आप झूल आइये

जिंदगी खूबसूरत है

जरा मुस्कुराइये

 

© श्याम खापर्डे 

भिलाई  05/12/20

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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