श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(वरिष्ठ साहित्यकार एवं अग्रज  श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी  की  सकारात्मक एवं संवेदनशील रचनाएँ  हमें इस भागदौड़ भरे जीवन में संजीवनी प्रदान करती हैं। आपकी पिछली रचना ने हमें आपकी प्रबल इच्छा शक्ति से अवगत कराया।  ई-अभिव्यक्ति परिवार आपके शीघ्र स्वास्थय लाभ की कामना करता है। हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए आपकी नवीन रचना  “बहे विचारों की सरिता….”आपके दृढ मनोबल के साथ निश्चित ही एक सकारात्मक सन्देश देती है। )

☆  तन्मय साहित्य  #  ☆ बहे विचारों की सरिता…. ☆ 

सुखद कल्पनाओं के

मन में स्वप्न सुनहरे से

बहे विचारों की सरिता

हम, तट पर ठहरे से।

 

दुनियावी बातों से

बार-बार ये मन भागे

जुड़ने के प्रयास में

रिश्तों के टूटे धागे,

हैं प्रवीण फिर भी जाने क्यों

जुड़े ककहरे से।

 

रागी, भ्रमर भाव से सोचे

स्वतः समर्पण का

उथल-पुथल अंतर की

शंकाओं के तर्पण का,

पर है डर बाहर बैठे

मायावी पहले से।

 

जिसने आग लगाई

उसे पता नहीं पानी का

क्या होगा निष्कर्ष

अजूबी अकथ कहानी का,

भीतर में हलचल

बाहर हैं गूंगे बहरे से।

 

चाह तृप्ति की अंतर में

चिंताओं को लादे

भारी मन से किए जा रहे

वादों पर वादे

सुख की सांसें तभी मिले

निकलें जब गहरे से।

बहे विचारों की …..

 

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

22 दिसंबर 2020, 11.43

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश

मो. 9893266014

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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subedar pandey kavi atmanand

अतिसुंदर रचना यथार्थ चित्रण बधाई अभिनंदन अभिवादन आदरणीय श्री