सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा

(सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी  सुप्रसिद्ध हिन्दी एवं अङ्ग्रेज़ी की  साहित्यकार हैं। आप अंतरराष्ट्रीय / राष्ट्रीय /प्रादेशिक स्तर  के कई पुरस्कारों /अलंकरणों से पुरस्कृत /अलंकृत हैं ।  सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार शीर्षक से प्रत्येक मंगलवार को हम उनकी एक कविता आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। आप वर्तमान में  एडिशनल डिविजनल रेलवे मैनेजर, पुणे हैं। आपका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है।आपकी प्रिय विधा कवितायें हैं। आज प्रस्तुत है “मेरी नज़्में ”। )

आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी के यूट्यूब चैनल पर उनकी रचनाओं के संसार से रूबरू हो सकते हैं –

यूट्यूब लिंक >>>>   Neelam Saxena Chandra

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार # 64 ☆

☆मेरी नज़्में

कुछ ग़म

ज़िंदगी ने मुझे

शाल की तरह उढ़ा दिए…

 

मैंने उन सभी शालों को

एक-एक कर नज्मों में बदल दिया

और उन नज्मों को एक पोटली में डाल

सूखने को रख दिया…

 

जैसे गृहिणी पापड बनाकर

छत पर सुखाने रख देती है,

और तैयार हो जाते हैं कच्चे पर करारे पापड,

वैसे ही

कुछ दिनों बाद मैंने देखा तो पाया

नज्मों का गीलापन सूख गया था

और वो बन गयीं थीं

बेहद हसीं और खूबसूरत,

जिन्हें किसी भी किताब में

जायके के लिए

परोसा जा सकता था!

 

© नीलम सक्सेना चंद्रा

आपकी सभी रचनाएँ सर्वाधिकार सुरक्षित हैं एवं बिनाअनुमति  के किसी भी माध्यम में प्रकाशन वर्जित है।

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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सत्येंद्र सिंह

बहुत सुंदर।