श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(वरिष्ठ साहित्यकार एवं अग्रज  श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी  की  सकारात्मक एवं संवेदनशील रचनाएँ  हमें इस भागदौड़ भरे जीवन में संजीवनी प्रदान करती हैं। 

कागों की बस्ती में

अब भी, हैं बचे हुए

चिड़ियों के घोंसले,

चहचहाहटें इनकी

उम्मीदें देती है

देती है जीने के हौसले।

 – श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(ई-अभिव्यक्ति परिवार आपके शीघ्र स्वास्थय लाभ की कामना करता है )

☆  तन्मय साहित्य  #  76 ☆ जीवन यह है…. ☆ 

आप सब की मंगल कामनाओं, परिजनों की हंसते-मुस्कुराते अथक सेवा, चिकित्सकों द्वारा सूझबूझ पूर्ण उपचार और परमपिता परमात्मा की कृपा से 10 दिन अस्पताल के ICU में रहने के बाद घर पर आए आज 20 दिन हो गए हैं,  बहुत धीमे सुधार के साथ एक माह बाद भी अभी पूर्णरूप से बेडरेस्ट पर ही हूँ। लंबा समय लगेगा पर विश्वास है ठीक हो जाऊंगा। आज सायं दूध पीते हुए मन में कुछ भाव आये, प्रस्तुत है –

जीवन यह है,

सुखद समुज्ज्वल दूध

दूध में जब खटास का

दुःख जरा सा भी मिल जाए

बदले दही रूप में

लक्षण नव दिखलाए

मंथन से मक्खन, मक्खन से

ऊर्जादायक घी बन जाए।

 

जीवन में भी ऊंच-नीच

नैराश्य-उमंग और

सुख-दुख आते रहते हैं,

ऋतुएँ सर्दी-गर्मी या बरसात

सभी का है महत्व

जो, विचलित हुए बिना

इनके सुख-दुख सहते है

मनुज वही अपने जीवन में

खुश रहते हैं।।

 

सुरेश तन्मय..

 

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

22 दिसंबर 2020, 11.43

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश

मो. 9893266014

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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