श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का हिन्दी बाल -साहित्य एवं हिन्दी साहित्य की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य” के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है “ हाइबन-कांच का पुल”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य # 72☆
☆ हाइबन-कांच का पुल ☆
बैमारगिरी पहाड़ के बीच 400 मीटर दूर दो पहाड़ी चोटियां स्थित है। ये पहाड़ी चोटियां जमीन से 200 फीट ऊंची है । इसी चोटी पर मानव निर्मित पारदर्शी पैदल पुल बनाया जा रहा है । यह पुल जिसे अंग्रेजी में ग्लास स्काईवॉक कहते हैं । जिसका मतलब है आकाश में कांच के पैदल सेतू पर घूमना । उसी का एहसास देता दुनिया का पहला आकाशीय पैदल पथ चीन के हांग झौऊ प्रांत में बनाया गया है। दूसरा पुल भारत के सिक्किम में बनाया गया है। तीसरा और बिहार का पहला एकमात्र आकाशीय पैदल पथ 19 करोड़ की लागत से राजगीर की बैमारगिरी पहाड़ी की चोटी पर बनाया जा रहा है।
इस पुल का 80% कार्य पूर्ण हो चुका है। मार्च 21 में 85 फुट लंबा और 5 फुट चौड़ा पुल दर्शकों के लिए खोल दिया जाएगा । यदि कमजोर दिल वाला कोई व्यक्ति इस पुल के ऊपर से नीचे की ओर, 200 फिट की गहरी खाई को देखे तो तुरंत बेहोश हो सकता है । कारण, वह स्वयं को आकाश में लटका हुआ पाएगा। जिसे महसूस कर के हार्ट अटैक का शिकार हो सकता है। इस कारण इस आकाशीय पैदल पुल पर जाने के लिए मजबूत दिल वालों को ही प्रवेश दिया जाएगा।
तपती खाई~
ग्लास ब्रिज के बीच
गिरी युवती।
© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
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