डॉ भावना शुक्ल
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 77 – साहित्य निकुंज ☆
☆ मकर संक्रांति – भावना के दोहे ☆
उत्तरायणी पर्व का, होता है आगाज।
मकर राशि पर आ गए, सूर्य प्रभाकर आज ।।
आसमान को घेरकर, उड़ने लगी पतंग।
कनकौयें भी भिड़ गये, लड़ते जैसे जंग ।।
लहर-लहर आकाश में,उ ड़ने लगी पतंग।
छलक रहा उल्लास अति, बाल सखा के संग।।
अलग-अलग त्योहार है, रंग अनेकों भ्रांति।
कहीं पर्व पोंगल कहीं, मने मकर संक्रांति।।
पर्व मकर संक्रांति का, तिल-गुड़ का त्यौहार।
मिलजुल कर सब रहे, दावत का व्यवहार।।
गंगा में डुबकी लगा, करें आचमन नीर
महिमा है संक्रांति की, निर्मल करे शरीर
बीत गया पतझड़ अभी, आने लगा बसंत।
अच्छे दिन अब आ गए, हुआ शीत का अंत।।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
सुंदर रचना