आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताeह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी  द्वारा रचित  ‘नवगीत – याद की फसलें कहें…’। )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 39 ☆ 

☆ नवगीत – याद की फसलें कहें…. ☆ 

अनेक वर्णा पत्तियाँ हैं

शाख पर तो क्या हुआ?

अपर्णा तो है नहीं अमराई

सुख से सोइये

बज रहा चलभाष सुनिए

काम अपना छोड़कर

पत्र आते ही कहाँ जो रखें

उनको मोड़कर

किताबों में गुलाबों की

पंखुड़ी मिलती नहीं

याद की फसलें कहें, किस नदी

तट पर बोइये?

सैंकड़ों शुभकामनायें

मिल रही हैं चैट पर

सिमट सब नाते गए हैं

आजकल अब नैट पर

ज़िंदगी के पृष्ठ पर कर

बंदगी जो मीत हैं

पड़ गये यदि सामने तो

चीन्ह पहचाने नहीं

चैन मन का, बचा रखिए

भीड़ में मत खोइए

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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