श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है । आज प्रस्तुत है एक व्यंग्य कविता “आटा, डाटा और टाटा“। )
☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 80 ☆
☆ व्यंग्य कविता – आटा, डाटा और टाटा☆
देखिए एक रोटी का आटा
गरीब का,
जियो जी भर कर दे रही डाटा
अमीर का,
देखिए हो रहा है ये घाटा
जनता का,
देखिए कर रहे हैं आंटा-सांटा
नेताओं का,
देखिए हर दम मिले चांटा
बाबाओं का,
देखिए मंत्री कर रहे हैं टाटा
हर काम का,
देखिए हो रहा है ये घाटा
अपने देश का,
© जय प्रकाश पाण्डेय
416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002 मोबाइल 9977318765
बहुत सुंदर