श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है । प्रस्तुत है साप्ताहिक स्तम्भ की दसवीं कड़ी में उनकी दो लघु कवितायें “गरीबासन” तथा “कोशिश ”। आप प्रत्येक सोमवार उनके साहित्य की विभिन्न विधाओं की रचना पढ़ सकेंगे।)
☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 10 ☆
☆ गरीबासन ☆
धूप है कि चिलचिलाती
भूख है फिर कुलबुलाती
जीवन भर की चाकरी
पर पटती नहीं उधारी
सुख चैन छिना कैसी तरक्की
मंहगे गुड़चने में फसी बेबसी
☆ कोशिश ☆
साजिशें वो रचते है
दुनिया में
जिन्हें कोई
जंग जीतनी हो…….
हमारी कोशिश तो
दिल जीतने की होती है…
ताकि रिश्ता
कायम रहे
जब तक जिंदगी हो ..
© जय प्रकाश पाण्डेय