श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 104 – मनोज के दोहे… ☆

1 नैवेद्य

ईश्वर को नैवेद्य से, खाना हो आरंभ।

यही समर्पण भाव हो, कभी न आता दम्भ।।

2 आचमन

सद्कर्मों का आचमन, करें सभी हरहाल।

कष्ट नहीं फिर घेरते, गुजरें अच्छे साल।।

3 नीराजन

पूजन नीराजन करें, भक्ति भाव से मंत्र।

सुधरेंगें हर काज तब, सफल रहेगा तंत्र।।

4 शंख

शंख-नाद कर आरती, करें भक्त गण रोज।

जयकारे हैं गूँजते, भरते मन में ओज।।

5 मंत्र

मंत्र-तंत्र की साधना, कठिन भक्ति का योग।

भवसागर से पार हों, फटकें कभी न रोग।।

 ©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments