(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ” में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, अतिरिक्त मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) में कार्यरत हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी का एक विचारणीय कविता ‘किशोरी बेटियां। इस सार्थकअतिसुन्दर कविता के लिए श्री विवेक रंजन जी की लेखनी को नमन। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 93 ☆
☆ कविता – किशोरी बेटियां ☆
मन में ऊँची ले उड़ाने, बढ़ रही हैं ये किशोरी बेटियां
स्कूल में जो वृक्ष पर, संग खड़ी हैं ये किशोरी बेटियां
कोई भी परिणाम देखो, अव्वल हैं हर फेहरिस्त में
हर हुनर में लड़कों पे भारी पड़ रही हैं ये किशोरी बेटियां
अब्बा अम्मी और टीचर, हौसले ही सब बढ़ा सकते हैं बस
अपना फ्यूचर खुद बखुद ही गढ़ रही हैं ये किशोरी बेटियां
तालीम का गहना पहनकर, बुरके को तारम्तार कर
औरतों के हक की खातिर लड़ रही हैं ये किशोरी बेटियां
“कल्पना” हो या “सुनीता” गगन में, “सोनिया” या “सुष्मिता”
रच रही वे पाठ खुद जो, पढ़ रही हैं ये किशोरी बेटियां
इनको चाहिये प्यार थोड़ा परवरिश में, और केवल एक मौका
करेंगी नाम, बेटों से बढ़कर होंगी साबित ये किशोरी बेटियां
© विवेक रंजन श्रीवास्तव, जबलपुर
ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर ४८२००८
मो ७०००३७५७९८
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈