डॉ भावना शुक्ल
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 81 – साहित्य निकुंज ☆
☆ गीत – दिल के दरवाजे …. ☆
दिल के दरवाजे पर कौन आ गया।
आके हौले हौले मन पे छा गया।
छा गई अधरों पर फूल सी मुस्कान।
हो गया जीवन में अब मेरा निर्माण।
तिमिर में अब अंधेरा हटता ही गया।
आके हौले हौले मन पे छा गया।
दिल के दरवाजे पर कौन आ गया।
आज इस कठिन दौर में क्या हो गया
नहीं पता किस ओर क्या क्या खो गया
कैसे जीना जीवन तु सिखला गया।
आके हौले हौले मन पे छा गया।
दिल के दरवाजे पर कौन आ गया।
जिंदगी का हर सफर लगता कठिन
साथ तेरा हो तो सब है मुमकिन।
तेरा साथ ही मुझको तो भा गया।
आके हौले हौले मन पे छा गया।
दिल के दरवाजे पर कौन आ गया।
तुम ही मेरे जीवन का संधान हो
मैं नयन नीर तुम गंगा का उत्थान हो
प्रणय की सरस गाथा वो रचता गया।
आके हौले हौले मन पे छा गया।
दिल के दरवाजे पर कौन आ गया।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
सुंदर अभिव्यक्ति