श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है बसंत ऋतू के आगमन पर एक भावप्रवण कविता “बासंती परिवर्तन”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 31 ☆

☆ बासंती परिवर्तन ☆ 

जब ऋतुराज बसंत आता है

मुझे बसंत सेना-चारूदत्त की

याद दिलाता है

जब मीठी-मीठी बयार चलती है

प्रणय गाथा चलचित्र सी

मचलती है

दृष्टि पर धुंधलका छा जाता है

वो युगों पुराना बसंत

याद आता है

 

जहां-

अमराई में थी

कोयल कूकती

रमणियां ठूंठों में

नयें प्राण फूंकती

सुगंधित गंधों में रची-बसी

रत्न जड़ित आभूषणों से

वक्षों को कसी-कसी

स्वागत द्वार पर सजी हुई मालायें

आंखों से प्रणय

निवेदन करती बालायें

मदिरा मे डूबा हुआ नगर

गणिकाओं के आलिंगन में

सो जाता है

मदनोत्सव के बासंती उन्माद में

उज्जयिनी का कण कण

खो जाता है

उसी अवसर पर वीर आर्यक

समस्थानक का मद

चूर करता है

रक्तहीन क्रांति से तख्तापलट

अनाचार, अन्याय को

दूर करता है

 

आज-

ऋतुराज वसंत के

आगमन के साथ

मन में एक प्रश्न जागा है

अंतर्मन तक जुड़ा

जिसका हर एक धागा है

क्या विलासिता के

उन्माद में डूबी

इस व्यवस्था को

कोई आर्यक बदल पायेगा ?

क्या इस बार यह मादक बसंत

इस देश में कोई

परिवर्तन लायेगा ?

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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