हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं – #13 ☆ हाउसवाइफ ☆ – श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का  हिन्दी बाल -साहित्य  एवं  हिन्दी साहित्य  की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं ”  के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं।  आज प्रस्तुत है उनकी लघुकथा  “हाउसवाइफ ”। )

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं – #13 ☆

 

☆ हाउस वाइफ ☆

 

वह भरे-पूरे परिवार में रहती थी जहा उसे काम के आगे कोई फुर्सत नहीं मिलाती थी. मगर फिर भी वह उस मुकाम तक पहुच गई जिस की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है.

उस ने कई दिग्गजों को हरा कर “मास्टर शेफ” का अवार्ड जीता था. यह उस की जीवन का सब से बड़ा बम्पर प्राइज था.

“आप  अपनी जीत का श्रेय किसे देना चाहती है ?” एक पत्रकार ने उस से पूछा

“मैं एक  हाउस वाईफ हूँ और मेरी जीत का श्रेय मेरे भरे- पूरे परिवार को जाता है जिस ने नई-नई डिश की मांग कर-कर के मुझे एक बेहत्तर कुक बना दिया. जिस की वजह से मैं ये मुकाम हासिल कर पाई हूँ.”

 

© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

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