श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है बसंत ऋतू के आगमन पर एक भावप्रवण कविता “बसंत आ रहा है”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 32 ☆

☆ बसंत आ रहा है ☆ 

यह कैसा बसंत आया है

रंगों के संग

बंदिशें भी लाया है

खुशियां बस थोड़ी थोड़ी है

हर चेहरे पर डर का साया है

वो कहां गई हल्की हल्की

गुनगुनाती धूप?

वो कहां गई अमराई में

कोयल की कूक ?

वो कहां गई पीली पीली सरसों ?

वो कहां गई युवतियों के

सीने की हूक ?

जहां ढोल की थाप पर

थिरकते थे पांव

रंग-बिरंगे परिधानों में

झूमते थे गांव

तरूणाई का मदहोश

करता हुआ नृत्य

यौवन से घिरे हुए

जलतें थे अलाव

आज सबके मन में एक शंका है

कहीं अहित ना हो जाए

यह आशंका है

बुझी बुझी सी आंखें

परेशां  चेहरे हैं

डर है-

कोई छीन ना ले हमसे

हमारी सुनहरी लंका है

क्या आसमान की चुप्पी

कभी टूट पायेगी ?

क्या गरजते बादलों सें

रिमझिम फुहारें आयेंगी ?

यहां बिजली की चमक से

दरक जाती हैं दीवारें

ढह जाते हैं बड़े बड़े महल

हे धरतीपुत्र !

तू जरा संभल संभल के चल

अब-

यह भयानक, डरावना

पतझड़ का मौसम

धीरे धीरे बीतता जा रहा है

खुशबू लुटाता, खिलखिलाता,

हर मन को लुभाता

रंगीन ऋतुराज बसंत

पग पग बढ़ाता

आ रहा है,

बस आ रहा है ।

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments