हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 11 – बेचारा प्यारा बिझूका ☆ – श्री जय प्रकाश पाण्डेय
श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है । प्रस्तुत है साप्ताहिक स्तम्भ की ग्यारहवीं कड़ी में उनकी कविता “बेचारा प्यारा बिझूका” । आप प्रत्येक सोमवार उनके साहित्य की विभिन्न विधाओं की रचना पढ़ सकेंगे।)
☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 11 ☆
☆ बेचारा प्यारा बिझूका ☆
बेचारा प्यारा बिझूका
मुफ्त में ड्यूटी करता
करता कारनामे गजब
फटे शर्ट में मुस्कराता
चिलचिली धूप में नाचता
पूस की रातों में कुकरता
कुत्ते जैसा कूं कूं करता
खेत मे फुल मस्त दिखता
मुफ्त का चौकीदार बनता
हरदम अविश्वास करता
न खुद खाता न खाने देता
क्यों मोती की माला गिनता
……………….
बेचारा हमारा बिझूका
हितैषी कहता किसान का
देशहित में हरदम बात करता।
वोट मांगता और झटके देता
पशु पक्षियों को झूठ में डराता
और हर दम हाथ भी मटकाता
…………………..
बेचारा उनका बिझूका
सिनेमा में बंदूक चलाता
व्यंग्य में चौकीदारी करता
कविता में बेवजह घुस जाता
और
भूत की अपवाह फैलाता
योगी और किसान को डराता
रात को मोती माला जपता
© जय प्रकाश पाण्डेय