प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी द्वारा एक भावप्रवण कविता “भारत की पावन माटी को प्रणाम“। हमारे प्रबुद्ध पाठक गण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 38 ☆ भारत की पावन माटी को प्रणाम ☆
रहे तिरंगा सदा लहराता भारत के आकाश में,
करता रहे देश नित उन्नति इसके धवल प्रकाश में ॥
लाखों वीरों ने बलि देकर के इसको फहराया है
आजादी का रथ रक्तिम पथ से ही होकर आया है ॥1 ॥
यह भारत की माटी पावन इसमें चन्दन – गंध है,
अमर शहीदों का इसमें इतिहास और अनुबंध है ॥
उनके उष्ण रक्त से रंजित अगणित मर्म व्यथाएँ हैं,
सतत प्रेरणादायी भावुक कई गौरव – गाथाएँ हैं ॥2 ॥
मनस्वियों औ ‘ तपस्वियों से इसका युग का नाता है,
राम – कृष्ण , गाँधी – सुभाष हम सबकी प्रेमल माता है ।
वीर प्रसू यह भूमि पुरातन बलिदानी, वरदानी है,
मानवीय संस्कृति की हर कण में कुछ लिखी कहानी है ॥3 ॥
आओ इससे तिलक करें हम सुदृढ़ शक्ति फिर पाने को,
नई पीढ़ी को अमर शहीदों की फिर याद दिलाने को ॥
जन्मभूमि यह कर्मवती धार्मिक ऋषियों का धाम है,
इसको शत – शत नमन हमारा, बारम्बार प्रणाम है ॥4 ॥
© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈